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22 मई को मृत घोषित होंगे लापता 29 मजदूर

जिला प्रशासन उत्तराखंड सरकार को भेजेगा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की रिपोर्टसात फरवरी 2021 हिमस्लखन से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आने से 33 मजदूर हुए थे लापता
लखीमपुर खीरी। उत्तराखंड के जनपद चमोली में सात फरवरी को धौलीगंगा नदी में आई बाढ़ के कारण 33 मजदूर लापता हो गए थे, जिसमें चार के शव मिले थे। डीएम ने लापता 29 मजदूरों को मृृतक घोषित करने के लिए 23 अप्रैल को गजट प्रकाशित करवाकर 30 दिन के अंदर आपत्ति मांगी थी, जिसे पूरा होने में अब छह दिन बचे हैं। 22 मई के बाद डीएम द्वारा लापता 29 मजदूरों को मृतक घोषित कर दिया जाएगा।निघासन तहसील क्षेत्र के गांव इच्छानगर निवासी उमेश शाह, मुकेश कुमार, प्रमोद, राजू गुप्ता, श्रीकृष्ण, जगदीश, इरफान खां, रामविलास, राशिद खां, इरसाद खां, रामतीरथ, इस्लाम हुसैन, शेरबहादुर, मिर्जागंज निवासी भलभल खां, भैरमपुर निवासी विनोद कुमार, पैकरमा गिरि, संतोष पाल, जितेंद्र यादव, अर्जुन लाल, मनोज कुमार पाल, सतेंद्र कुमार, रंजीत गिरि, सुथना बरसोला निवासी रामू, गौरीशंकर, बाबूपुरवा निवासी अर्जुन और हीरालाल, कड़िया निवासी अरुण कुमार, भूलनपुर निवासी धर्मेंद्र वर्मा, नगर पंचायत सिंगाही के वार्ड नंबर छह निवासी जावेद खां का तीन माह बाद भी कोई पता नहीं चल सका है और न ही इनके शव बरामद हुए हैं।लापता 29 लोगों मेें सबसे ज्यादा इच्छानगर गांव के 13 व्यक्ति और भैरमपुर गांव के आठ व्यक्ति शामिल हैं, जिससे इन गांवों में आज भी पीड़ित परिवार चमोली त्रासदी से उबरे नहीं हैं। काफी दिनों तक परिजनों को इनके लौटने की उम्मीद रही, जो अब टूट चुकी है। अभी तक पीड़ित परिवारों को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है, जिसके लिए जिला प्रशासन ने लापता मजदूरों को मृतक घोषित करने के लिए 23 अप्रैल 2021 को गजट प्रकाशित कराया था।गजट के माध्यम से 30 दिन के अंदर लोगों से निघासन एसडीएम के समक्ष आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा था, जिसकी अवधि 22 मई 2021 को पूरी हो जाएगी। अभी तक एसडीएम निघासन के समक्ष कोई आपत्ति दाखिल नहीं हुई है। 22 मई को 30 दिन की अवधि पूरी होते ही जिला प्रशासन लापता 29 मजदूरों को मृतक घोषित करेगा, जिसके बाद इनके मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
सामान्य तौर पर तीन साल बाद मृत घोषित करने का है प्रावधान

 

लखीमपुर खीरी। उत्तराखंड के जनपद चमोली में सात फरवरी को धौलीगंगा नदी में आई बाढ़ के कारण 33 मजदूर लापता हो गए थे, जिसमें चार के शव मिले थे। डीएम ने लापता 29 मजदूरों को मृृतक घोषित करने के लिए 23 अप्रैल को गजट प्रकाशित करवाकर 30 दिन के अंदर आपत्ति मांगी थी, जिसे पूरा होने में अब छह दिन बचे हैं। 22 मई के बाद डीएम द्वारा लापता 29 मजदूरों को मृतक घोषित कर दिया जाएगा।

निघासन तहसील क्षेत्र के गांव इच्छानगर निवासी उमेश शाह, मुकेश कुमार, प्रमोद, राजू गुप्ता, श्रीकृष्ण, जगदीश, इरफान खां, रामविलास, राशिद खां, इरसाद खां, रामतीरथ, इस्लाम हुसैन, शेरबहादुर, मिर्जागंज निवासी भलभल खां, भैरमपुर निवासी विनोद कुमार, पैकरमा गिरि, संतोष पाल, जितेंद्र यादव, अर्जुन लाल, मनोज कुमार पाल, सतेंद्र कुमार, रंजीत गिरि, सुथना बरसोला निवासी रामू, गौरीशंकर, बाबूपुरवा निवासी अर्जुन और हीरालाल, कड़िया निवासी अरुण कुमार, भूलनपुर निवासी धर्मेंद्र वर्मा, नगर पंचायत सिंगाही के वार्ड नंबर छह निवासी जावेद खां का तीन माह बाद भी कोई पता नहीं चल सका है और न ही इनके शव बरामद हुए हैं।

लापता 29 लोगों मेें सबसे ज्यादा इच्छानगर गांव के 13 व्यक्ति और भैरमपुर गांव के आठ व्यक्ति शामिल हैं, जिससे इन गांवों में आज भी पीड़ित परिवार चमोली त्रासदी से उबरे नहीं हैं। काफी दिनों तक परिजनों को इनके लौटने की उम्मीद रही, जो अब टूट चुकी है। अभी तक पीड़ित परिवारों को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है, जिसके लिए जिला प्रशासन ने लापता मजदूरों को मृतक घोषित करने के लिए 23 अप्रैल 2021 को गजट प्रकाशित कराया था।

गजट के माध्यम से 30 दिन के अंदर लोगों से निघासन एसडीएम के समक्ष आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा था, जिसकी अवधि 22 मई 2021 को पूरी हो जाएगी। अभी तक एसडीएम निघासन के समक्ष कोई आपत्ति दाखिल नहीं हुई है। 22 मई को 30 दिन की अवधि पूरी होते ही जिला प्रशासन लापता 29 मजदूरों को मृतक घोषित करेगा, जिसके बाद इनके मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

किसी व्यक्ति के लापता होने की दशा में उसे तीन साल बाद मृृतक घोषित करने का प्रावधान है, लेकिन चमोली त्रासदी में लापता हुए 29 मजदूरों को तीन माह बाद ही मृतक घोषित कर दिया जाएगा। ताकि पीड़ित परिवारों को समय रहते आर्थिक मदद मुहैया कराई जा सके। चमोली त्रासदी में लापता हुए 29 मजदूरों के शव बरामद नहीं हुए हैं। न ही इनके जीवित होने के प्रमाण हैं। इसलिए परिजनों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए लापता मजदूरों को मृतक घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें आपत्ति दाखिल करने की अवधि 22 मई 2021 को पूर्ण हो जाएगी। इसके बाद इन्हें मृतक घोषित करते हुए रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को भेजी जाएगी, जहां से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होते ही आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जाएगी। – शैलेंद्र कुमार सिंह, डीएम