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भ्रष्टाचार मामले में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया की अग्रिम जमानत खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया की भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज मुकदमे में अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इससे कपिल मुनि के पैरोल पर रिहा होने के बावजूद अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए जेल से बाहर आने की उम्मीद कम हो गई है। कपिल जवाहर पंडित हत्याकांड में उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं। अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि 2019 में दर्ज हुए भ्रष्टाचार के मामले में अब तक न तो नियमित जमानत मांगी गई और न ही उसके लिए अर्जी दी गई है। याची इस मामले में न्यायिक हिरासत में है और उस पर बी वारंट का तामीला भी हो चुका है। यदि किसी मामले में कोर्ट से पैरोल के निर्देश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, तो यह अग्रिम जमानत देने का आधार नहीं बन सकता।अग्रिम जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुनवाई की। अर्जी में कहा गया था कि गत 13 मई को आपराधिक अपील पर याची का पैरोल मंजूर किया गया। इस आदेश के बावजूद जेल अधिकारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के इस मामले के लंबित होने के कारण रिहा नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत 13 मई को जवाहर पंडित हत्याकांड की अपील पर दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद बेटी के विवाह के लिए पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, पूर्व विधायक उदयभान करवरिया एवं पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया का पैरोल मंजूर किया था। इस आदेश पर उदयभान करवरिया व सूरजभान करवरिया को नैनी जेल से रिहा कर दिया गया था लेकिन मंझनपुर थाने के इस मामले में जमानत न होने के कारण कपिलमुनि करवरिया की रिहाई नहीं हो सकी थी।मामला तब (2004-2009) का है, जब कपिलमुनि करवरिया कौशाम्बी जिला पंचायत अध्यक्ष थे। उस दौरान की गई नियुक्तियों में धांधली का आरोप लगाने के बाद मामले की जांच विजलेंस से कराई गई। विजलेंस टीम ने जांच के बाद कौशाम्बी के मंझनपुर थाने में वर्ष 2019 में कपिलमुनि करवरिया व मधु वाचस्पति सहित चार लोगों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी/13(2) और आईपीसी की धारा 120-बी(आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और वाराणसी स्थित अदालत उस पर संज्ञान भी ले चुकी है।कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत की यह अर्जी कई कारणों से गलत है। सबसे पहले याची अन्य आपराधिक मामलों में पहले से ही हिरासत में है। इस लिहाज से गिरफ्तारी की आशंका का तथ्य गायब है जो अग्रिम जमानत के लिए महत्वपूर्ण है।