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कानपुर का एक ऐसा गांव… जहां के लोगों की सूझबूझ से नहीं पहुंचा कोरोना… हर घर के सामने है एक पेड़

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कानपुरकोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कानपुर को ऐसे जख्म दिए कि जिसकी भरपाई करना मुस्किल है। संक्रमण ने शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर कोहराम मचाया है। जिसके परिणाम गंगा की रेती में दफन शव और नदियों में बहते शव दे रहे हैं। इसके बीच कानपुर में एक ऐसा गांव भी है, जिसने आपसी सूझबूझ के साथ कोरोना को मात दी है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर गांव में नहीं पहुंची है। कानपुर के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर ब्लॉकों में बड़ी संख्या में संक्रमण जैसे लक्षण वाले मरीज सामने आ रहे हैं। वहीं, इलाज के अभाव में दम भी तोड़ रहे हैं, लेकिन बिधनू ब्लॉक के पसिकपुरवा गांव के लोगों की सतर्कता और सजगता ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। इस गांव में एक भी कोरोना या फिर कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीज भी सामने नहीं आए हैं। पसिकपुरवा गांव की आबादी लगभग दो हजार के करीब है। यहां पर बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक कोरोना वायरस के प्रति सतर्क और सजग हैं।हर घर में सैनेटाइज करने वाली मशीनपसिकपुरवा गांव में रहने वाले ग्रामीण किसी के भरोसे नहीं हैं। गांव के हर एक घर में सैनेटाइजर मशीन है। ग्रामीण अपने घरों में सप्ताह में तीन दिन घर के हर कोने से लेकर बाहर तक पूरे घर को सैनेटाइज करते हैं। पूरे गांव में आपसी सूझबूझ और तालमेल से साफ-सफाई का ध्यान दिया जाता है।ऐसे बढ़ाते हैं प्रतिरोधक क्षमताग्रामीणों का कहना है कि हम लोग अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए खाने में प्रोटीन युक्त आहार का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें नींबू, अदरक, गिलोय, तुलसी, काली मिर्च, तारोई, लौकी, पालक, खीरा, संतरा, सत्तू, लहसुन समेत प्रोटीन से भरे फलों का प्रयोग खाने में करते है। प्रोटीन युक्त भोजन हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।प्राकृतिक कवच करता है गांव की रक्षापसिकपुरवा गांव के लाखन सिंह का कहना है कि हमारे गांव के आसपास तीन किलोमीटर दूर तक दूसरा गांव नहीं है। हम लोग पूरी तरह से प्राकृति पर निर्भर है। पूरा गांव चारों तरफ हरे-भरे पेड़ों से घिरा है। इसके साथ ही गांव के भीतर हर एक घर में हरा पेड़ लगा है। जिससे हमें शुद्ध ऑक्सिजन मिलती है। यह प्राकृतिक माहौल हमें स्वस्थ्य रखने में सहायक है।कड़ी धूप में खुद को तपाते हैं ग्रामीणग्रामीणों का कहना है कि हम लोग कड़ी धूप में खेतों पर काम करते हैं। बेहताशा पसीना बहाकर कड़ी मेहनत करते हैं। इसके साथ ही दूध, हल्दी, सोंठ, लौंग, काची मिर्च, आंवला, तुलसी, मुलेठी, हर्र, बहेड़ा, समेत अन्य प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल करते है। मेहनत करने वाले शरीर को कोरोना या फिर अन्य कोई भी बीमारी छू नहीं पाएगी।पसिकपुरवा गांव के लोगों का कहना है कि हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर का डट कर मुकाबला किया है। गांव में एक भी कोरोना या फिर कोरोना जैसे लक्षण वाला मरीज सामने नहीं आया है। कोरोना की तीसरी लहर आने की चर्चा चल रही है, हम लोग तीसरी लहर का भी डट कर मुकाबला करेंगे।