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विकास दुबे के मददगारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, यूं रची गई थी बिकरू कांड की साजिश

सुमित शर्मा, कानपुरकुख्यात अपराधी विकास दुबे बिकरू कांड को अंजाम देने के बाद अपने खास गुर्गों प्रभात मिश्रा और अमर दुबे के साथ कानपुर देहात के रसूलाबाद में पनाह ली थी। विकास दुबे को पनाह देने और हथियारों की खरीद फरोख्त करने वाले सात आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस ने इलेक्ट्रानिक और वैज्ञानिक साक्ष्यों को अधार बनाया है। बिकरू कांड के बाद विकास दुबे और उसके गुर्गों को तीन दिनों तक पनाह देने वाले ओरोपियों के खिलाफ पनकी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। बिकरू कांड की मूल एफआईआर में मददगारों का नाम नहीं जोड़ा गया था। कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड को अंजाम देने के बाद विकास दुबे अपने खास गुर्गों प्रभात मिश्रा और अमर दुबे के साथ फरार हुआ था। प्रभात मिश्रा का खास दोस्त विष्णु कश्यप तीनों को लेकर रसूलाबाद स्थित अपने जीजा रामजी के घर पहुंचा था। रामजी ने अपने साथियों के साथ मिलकर विकास और उसके गुर्गों को शरण दी थी। इसके साथ ही विकास ने बिकरू कांड में इस्तेमाल किए असलहों को रामजी के घर पर छिपाया था। एसटीएफ ने किया था अरेस्टयूपी एसटीएफ ने बीते 01 मार्च को विष्णु कश्यप, अमन शुक्ला, रामजी, अभिनव तिवारी, संजय परिहार, शुभम पाल, मनीष यादव को अरेस्ट किया था। सभी आरोपी जेल में है। जिसमें से मनीष यादव की भूमिका असलहों की खरीद-फरोख्त में थी। मददगारों के पास से एसटीएफ ने एक रायफल, 09 एमएम काबाईंन, रिवाल्वर, सिंगल बैरल बंदूक, बड़ी मात्रा में कारतूस और देसी तमंचे बरामद किए थे। बिकरू कांड में इस्तेमाल किए असलहों को भिंड में बेचा रहा थाविकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर होने के बाद रामजी और विष्णु कश्यप ने असलहों को बेचने का फैसला किया था। एसटीएफ की जांच में यह बात निकल कर सामने आई थी, कि कानपुर देहात के संजय परिहार और अमन शुक्ला ने सेमी ऑटोमेटिक रायफल और डबल बंदूक की खरीददारी के लिए मनीष यादव से संपर्क किया था। बसपा नेता सत्यवीर यादव का भिंड रोड पर रेस्टोरेंट है, उसके रेस्टोरेंट में बैठकर असलहों की डील हुई थी। बसपा नेता के भतीजे बंटी और मंगल सिंह यादव ने सेमी ऑटोमेटिक रायफल और डबल बैरल बंदूक खरीददारी की थी। ये वहीं सेमी ऑटोमेटिक रायफल थी, जिससे विकास दुबे ने पुलिस कर्मियों पर गोलियां बरसाईं थीं।