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यूपी में मिला पहला व्हाइट फंगस का मरीज: इससे पहले हुआ था कोरोना, वाराणसी में चल रहा इलाज

पूर्वांचल में कोरोना महामारी के बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों के बाद व्हाइट फंगस के मिले एक केस ने चिंता बढ़ा दी है। व्हाइट फंगस का पहला मामला मऊ जिले में सामने आया है। वहीं, वाराणसी में अब तक ब्लैक फंगस के 35 मामले सामने आ चुके हैं। मऊ में मिला मरीज दिल्ली से कोरोना का इलाज कराकर लौटा था, जो अब व्हाइट फंगस की चपेट में आ गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश में यह पहला व्हाइट फंगस का मामला है। डॉ. आदित्य क्षितिज ने इसकी पुष्टि की है।वाराणसी के लंका इलाके में निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉ. क्षितिज मूल रूप से मऊ जिले के हैं। उन्होंने बताया कि व्हाइट फंगस से पीड़ित वृद्ध(70) मूल रूप से मऊ जिला मुख्यालय स्थित सहादतपुरा मोहल्ले के निवासी हैं। वह दिल्ली में कोरोना से संक्रमित हुए थे। उस दौरान 15 अप्रैल को वह वहां कैलाश अस्पताल में भर्ती हुए। 24 को ठीक होने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई। इसके बाद वह घर आ गए। लेकिन, 10 मई को अचानक उनको एक आंख से धुंधला दिखने लगा। इस पर उन्होंने किसी डाक्टर से संपर्क किया। लेकिन केस समझ में न आने पर मऊ के डॉक्टर ने क्षितिज आदित्य से संपर्क किया।इसके बाद 16 मई को मरीज वाराणसी पहुंचा। डॉ. क्षितिज के अनुसार जांच में प्रथम दृष्टया अनुमान लगाया गया था कि वृद्ध व्हाइट फंगस से पीड़ित हैं। इसलिए नमूना लैब भेजा गया। गुरुवार को आई जांच रिपोर्ट में व्हाइट फंगस की पुष्टि हो गई।
डॉ. क्षितिज के अनुसार व्हाइट फंगस से पीड़ित व्यक्ति जब कोविड पॉजिटिव था, तो इलाज में स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल किया गया। ठीक होने के बाद भी डॉक्टर ने  स्टेरॉयड दवा खाने की सलाह दी थी। फिलहाल मरीज की स्टेरॉयड दवा बंद कर दी गई है। उसके बाद व्हाइट फंगस का उपचार शुरू किया गया है। अगर कल तक मरीज को आराम नहीं मिला तो ऑपरेशन करना पड़ेगा।वाराणसी में ब्लैक फंगसवाराणसी में ब्लैक फंगस के अब तक 35 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें तीन मरीज निजी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि बाकी 32 में बीएचयू सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस के 19 संदिग्ध मरीज के रूप में भर्ती हैं। छह का ऑपरेशन हो चुका है और दो की मौत हो चुकी है। एक नया मरीज शुक्रवार को आया। इसके अलावा छह अन्य मरीजों की कोरोना जांच रिपोर्ट का इंतजार है।

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पूर्वांचल में कोरोना महामारी के बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों के बाद व्हाइट फंगस के मिले एक केस ने चिंता बढ़ा दी है। व्हाइट फंगस का पहला मामला मऊ जिले में सामने आया है। वहीं, वाराणसी में अब तक ब्लैक फंगस के 35 मामले सामने आ चुके हैं। मऊ में मिला मरीज दिल्ली से कोरोना का इलाज कराकर लौटा था, जो अब व्हाइट फंगस की चपेट में आ गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश में यह पहला व्हाइट फंगस का मामला है। डॉ. आदित्य क्षितिज ने इसकी पुष्टि की है।

वाराणसी के लंका इलाके में निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉ. क्षितिज मूल रूप से मऊ जिले के हैं। उन्होंने बताया कि व्हाइट फंगस से पीड़ित वृद्ध(70) मूल रूप से मऊ जिला मुख्यालय स्थित सहादतपुरा मोहल्ले के निवासी हैं। वह दिल्ली में कोरोना से संक्रमित हुए थे। उस दौरान 15 अप्रैल को वह वहां कैलाश अस्पताल में भर्ती हुए। 24 को ठीक होने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई। इसके बाद वह घर आ गए। लेकिन, 10 मई को अचानक उनको एक आंख से धुंधला दिखने लगा। इस पर उन्होंने किसी डाक्टर से संपर्क किया। लेकिन केस समझ में न आने पर मऊ के डॉक्टर ने क्षितिज आदित्य से संपर्क किया।

इसके बाद 16 मई को मरीज वाराणसी पहुंचा। डॉ. क्षितिज के अनुसार जांच में प्रथम दृष्टया अनुमान लगाया गया था कि वृद्ध व्हाइट फंगस से पीड़ित हैं। इसलिए नमूना लैब भेजा गया। गुरुवार को आई जांच रिपोर्ट में व्हाइट फंगस की पुष्टि हो गई।

डॉ. क्षितिज के अनुसार व्हाइट फंगस से पीड़ित व्यक्ति जब कोविड पॉजिटिव था, तो इलाज में स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल किया गया। ठीक होने के बाद भी डॉक्टर ने  स्टेरॉयड दवा खाने की सलाह दी थी। फिलहाल मरीज की स्टेरॉयड दवा बंद कर दी गई है। उसके बाद व्हाइट फंगस का उपचार शुरू किया गया है। अगर कल तक मरीज को आराम नहीं मिला तो ऑपरेशन करना पड़ेगा।वाराणसी में ब्लैक फंगसवाराणसी में ब्लैक फंगस के अब तक 35 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें तीन मरीज निजी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि बाकी 32 में बीएचयू सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस के 19 संदिग्ध मरीज के रूप में भर्ती हैं। छह का ऑपरेशन हो चुका है और दो की मौत हो चुकी है। एक नया मरीज शुक्रवार को आया। इसके अलावा छह अन्य मरीजों की कोरोना जांच रिपोर्ट का इंतजार है।