Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

वायरस से बचना है तो घर में वेंटिलेशन के लिए कीजिए छोटे से उपाय, होगा ये फायदा

Default Featured Image

गाजियाबाददीपक बालाजी एन्क्लेव में रहते हैं। 2 बीएचके का उनका फ्लैट है। जीवनभर की पूंजी लगाकर घर खरीदा था। पूरे फ्लैट में केवल एक खिड़की है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अब वेंटिलेशन की बात हो रही है। लेकिन, दीपक की तरह लाखों ऐसे लोग हैं जो इस तरह के फ्लैट में रह रहे हैं। कुछ फ्लैट ओनर्स के अलावा हर किसी का हाल दीपक जैसा ही है। लोगों ने वेंटिलेशन की दिक्कत को एसी से भरने की कोशिश की। फिर भी बीमारी की वजह दूर नहीं हुई। एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ उपाय करने के बाद हालात को थोड़ा बेहतर किया जा सकता है।आर्किटेक्ट का कहना है कि क्रॉस वेंटिलेशन का मतलब, एक तरफ से हवा चले तो दूसरी तरफ से निकल जाए। मतलब अगर गेट है तो उसके सामने खिड़की का होना जरूरी है। इसी तरह अगर हॉल का मुख्य दरवाजा है तो कमरों के दरवाजे उसके सामने होने चाहिए। कमरों के दरवाजे के ठीक दूसरी तरफ खिड़की भी हो। लेकिन, फ्लैट में ऐसा कई बार संभव नहीं होता है। ऐसे में क्रॉस वेंटिलेशन के लिए एग्जॉस्ट फैन का सहारा लेना जरूरी हो जाता है। कमरा कितना बड़ा है, कितने लोग घर में रहते हैं, खिड़कियों और दरवाजों का साइज और जगह, इन सभी पॉइंट को ध्यान में रखते हुए एग्जास्ट फैन की सेटिंग की जाती है। इसके लिए किसी आर्किटेक्ट की मदद ली जाए तो बेहतर वेंटिलेशन हो सकता है।एसी वाले कमरों में हो रोशनदानसबसे ज्यादा दिक्कत एसी वाले कमरों होती है। बेहतर कूलिंग के लिए सारी खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर दिया जाता है। कोरोना ही नहीं, ऐसे कमरों में कई तरह के वायरस-बैक्टीरिया पनप सकते हैं। एसी की कूलिंग की वजह से सामान्यतौर पर लोगों को इसका अहसास भी नहीं हो पाता है। एक्सपर्ट का मानना है कि एसी वाले घरों में रोशनदान होना जरूरी है। रोशनदान 12×6 या कमरे के साइज के अनुपात में सबसे ऊपर बनाया जाता है। ऐसे कमरों की खिड़कियों और दरवाजों को 24 घंटे में 3-4 घंटे के लिए जरूर खोलना चाहिए। रोशनदान होने पर एसी से होने वाले साइड इफेक्ट ड्राई आई और रूखी त्वचा की भी समस्या भी कुछ कम हो सकती है।’जालीदार खिड़की और गेट लगवाएं’आर्किटेक्ट असोसिएशन गाजियाबाद की प्रेजिडेंट स्मिता मित्तल का कहना है कि घर के डिजाइन को देखकर ही वेंटिलेशन सिस्टम को दुरुस्त किया जा सकता है। आमतौर पर कांच की खिड़की है तो जालीदार पल्ले जरूर लगवाएं। रोशनदान हर कमरे में जरूर हो। अगर क्रॉस वेंटिलेशन के लिए गेट और खिड़की की जगह ठीक नहीं है तो एग्जास्ट फैन का विकल्प हो सकता है। फैन का साइज कमरे की लंबाई-चौड़ाई और वहां रहने वाले लोगों की संख्या पर निर्भर करेगा। क्रॉस वेंटिलेशन के लिए गेट के सामने खिड़की होनी चाहिए। मतलब एक जगह से हवा अंदर आए तो दूसरी तरफ से निकल जाए।अवैध निर्माण में ध्यान नहीं देते नियमगाजियाबाद में बड़ी संख्या में भवनों का अवैध निर्माण होता है। यहां केवल सुरक्षा ताक पर नहीं रखी जाती, वेंटिलेशन जैसी जरूरी चीजों को भी दरकिनार किया जाता है। जिले में 300 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। यहां बने हजारों फ्लैट में लोग रह रहे हैं। 2-3 कमरों के फ्लैट में मुश्किल से एक-2 खिड़कियां होती हैं। ऐसे में वेंटिलेशन की बात बेमानी हो जाती है। वेंटिलेशन न होने से सीलन की समस्या अमूमन आम होती है। इन कमरों में वेंटिलेशन के लिए एग्जास्ट अंतिम विकल्प बचता है। आर्किटेक्ट की मदद से हर कमरे से पाइप की मदद से एग्जास्ट फिट कराने के बाद वेंटिलेशन की जरूरत पूरी हो सकती है।10% एरिया में वेंटिलेशन पर पास होता है नक्शाजीडीए के चीफ आर्किटेक्ट टाउन प्लानर आशीष शिवपुरी ने कहा कि वेंटिलेशन हर घर के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। जीडीए जो भी नक्शा पास करता है, उसमें कुल क्षेत्र का 10 पर्सेंट एरिया वेंटिलेशन के लिए रिजर्व रखना जरूरी होता है। अब अगर कोई नई गाइडलाइंस आएगी तो इस नियम में बदलाव किया जाएगा। क्रेडाई के गाजियाबाद प्रेजिडेंट गौरव गुप्ता ने कहा कि घर हो या फ्लैट वेंटिलेशन जरूरी है। बगैर नक्शे के जो निर्माण हो रहे हैं, उनमें बिल्डिंग बायलॉज का पालन नहीं होता है। ऐसे में इन घरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था नहीं होती है।एडवाइजरी में क्या कहा गयाकेंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रफेसर विजयराघवन ने कहा है कि एरोसोल हवा में 10 मीटर तक जा सकते हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए घर में पर्याप्त वेंटिलेशन हो। रोशनदान और खिड़कियां खुली रहें। खुले घर में संक्रमण का खतरा कम होता है। जैसे खिड़की खोलने पर बदबू कम हो जाती है, उसी तरह खुले दरवाज़े, खुली खिड़की और एग्जॉस्ट फैन से संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।