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लकड़ी पर नक्काशी के लिए मशहूर सहारनपुर का वुड कार्विंग उद्योग ठप, कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

लॉकडाउन के चलते कहीं भी प्रदर्शनी, मेले और नुमाइश नहीं लग रही हैमाल विदेश के अलावा देश के सभी पर्यटन स्थलों, बड़े शहरों, मेलों और नुमाइश में सप्लाई किया जाता कारीगरी करने वालों के परिवार के भूखे मरने की नौबत आ गई हैसैयद मशकूर, सहारनपुरवैश्विक महामारी कोरोना के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन के चलते सहारनपुर का काष्ठ कला उद्योग ठप हो गया है। सहारनपुर से मेलों, नुमाइश और पर्यटन स्थलों पर लकड़ी की विभिन्न आइटम सप्लाई किए जाते हैं। लॉकडाउन के चलते कहीं भी मेले और नुमाइश नहीं लग रही है। इसके अलावा पर्यटन स्थलों पर भी सन्नाट है। करीब डेढ़ महीने से शहर में लकड़ी के समान की दुकानें बंद पड़ी हैं। माल की सप्लाई बंद होने के चलते काष्ठ कला उद्योग से जुड़े लोग परेशान हैं। कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट है और परिवार के भूखे मरने की नौबत आ गई है। पेंसिल से लेकर कई तरह के बनते हैं आइटमपूरी दुनिया में लकड़ी पर नक्काशी के लिए मशहूर सहारनपुर का वुड़ कार्विंग उद्योग यहां पर घर-घर में संचालित है। शहर के खताखेड़ी, शाहजी की सराय, सराय हिसामुद्दीन, पुरानी मंडी, कमेला कालोनी, पीरवाली गली, आज़ाद कालोनी, इंद्रा चौक, 62 फुटा रोड, रहमानी चौक, पुल कम्बोहान सहित गली मोहल्लों में लकड़ी पर हाथ से नक़्क़ाशी का काम किया जाता है। यहां पर लकड़ी के पेंसिल बॉक्स से लेकर बेड और सोफे तक तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा लकड़ी के तमाम सजावटी सामान भी बनाए जाते हैं। यह माल विदेश के अलावा देश के सभी पर्यटन स्थलों, बड़े शहरों, मेलों और नुमाइश में सप्लाई किया जाता है। इस काम से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। भूखों मरने तक की नौबतसहारनपुर के लोगों की आय का प्रमुख जरिया विश्व प्रसिद्ध काष्ठ कला उद्योग माना जाता है। इस काम ने यहां पर कुटीर उद्योग का रूप ले रखा है। इन दिनों देश में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है। मेले और नुमाइश भी बंद हैं। पर्यटन स्थलों पर भी कोई नहीं जा रहा है। इसी के चलते लकड़ी के माल की सप्लाई करीब डेढ़ महीने से बंद है। माल की सप्लाई बंद होने का सीधा असर इस काम से जुड़े लोगों के चूल्हों पर पड़ा है। काम धंधा चौपट होने के चलते लकड़ी पर कारीगरी करने वालों के परिवार के भूखे मरने की नौबत आ गई है, इसीलिए लकड़ी का काम करने वाले कारीगरों को रिक्शा चलाने से लेकर मजदूरी तक करनी पड़ रही है।रिक्शा चला कर पाल रहे हैं परिवारपीर वाली गली में लकड़ी के चम्मच, कांटे और अन्य सामान तैयार करने वाले खुर्रम का कहना है कि डेढ़ महीने से काम बंद पड़ा है। कारोबार ठप होने का सीधा असर लकड़ी कारीगरों के रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ रहा है। इस काम से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट है और परिवार के भूखे मरने की नौबत आ गई है, अगर लॉकडाउन जल्दी नहीं खुला तो स्थिति और खराब हो जाएगी। यही हाल खाता खेड़ी के रहने वाले नौशाद का है। उनका माल प्रदर्शनी में सप्लाई होता है। उनके साथ कई कारीगर जुड़े हुए हैं। माल की सप्लाई बंद होने के चलते सभी लोग परेशान हैं। नौशाद का कहना है कि काम नहीं मिलने के चलते कारीगर मजदूरी कर रहे हैं। कई लोगों ने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा उनके सामने कोई चारा नहीं है। परिवार पालने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा।