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यूपी चुनावों पर नजर: अगले महीने से उत्तर प्रदेश में दमखम लगाना शुरू कर देगी भाजपा, अमित शाह रखेंगे बारीक नजर

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सार
संगठन मंत्री सुनील बंसल ने अपनी सक्रियता काफी बढ़ा दी है। वह पार्टी पदाधिकारियों, संगठन के लोगों तथा कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में हैं। भाजपा के सह संगठन मंत्री भवानी सिंह के निधन के बाद जल्द ही किसी नेता को सह-संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है…

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
– फोटो : एएनआई (फाइल)

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भाजपा का पूरा फोकस अब 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कोरोना संक्रमण के साथ-साथ समीक्षा बैठकों का सिलसिला तेज कर दिया है। अगले महीने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी उत्तर प्रदेश का दौरा कर सकते हैं। यह दौरा अब करीब-करीब हर महीने होने वाला है। सूत्र बताते हैं कि राज्य में प्रस्तावित चुनाव को देखते हुए केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की भी भूमिका बढ़ सकती है।
संगठन मंत्री सुनील बंसल ने अपनी सक्रियता काफी बढ़ा दी है। वह पार्टी पदाधिकारियों, संगठन के लोगों तथा कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में हैं। भाजपा के सह संगठन मंत्री भवानी सिंह के निधन के बाद जल्द ही किसी नेता को सह-संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कुल मिलाकर पार्टी की कोशिश उत्तर प्रदेश में सरकार विरोधी लहर कम करने, कोरोना से जनता में पैदा हुई नाराजगी से निपटने और 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह सहयोगियों के सहारे पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की है।गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2022 में प्रस्तावित चुनावों को देखते हुए भाजपा और संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पिछले हफ्ते बैठक की थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल शामिल हुए थे। इसके बाद दत्तात्रेय होसबोले ने लखनऊ में संगठन के कामकाज के बहाने प्रवास किया था। सूत्र बताते हैं कि राज्य में उन्होंने संघ के वरिष्ठ नेताओं से भी फीडबैक लिया। हालांकि वह भाजपा के किसी नेता से नहीं मिले। इसके बाद सर कार्यवाह दिल्ली आए और एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक बाद ही राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भोपाल से लखनऊ पहुंची और शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिलने गए। इसके बाद से लखनऊ का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है।
अगले महीने होगा मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार से बहुत हद तक सहमत नहीं है। उसका मानना है कि यह समय क्षेत्र पर ध्यान देने का है। इसके लिए पार्टी के विधायकों, सांसदों, मंत्रियों सभी को युद्धस्तर पर जुट जाना चाहिए। वहीं भाजपा के नेताओं में जून के पहले सप्ताह तक कभी भी मंत्रिमंडल में कुछ फेरबदल की चर्चा जोर पकड़ चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री का कहना है कि मंत्रिमंडल में बदलाव होगा अथवा नहीं, यह तो वह नहीं बता सकते। वह केवल इतना कह सकते हैं जमीन पर काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार इस पर पूरा ध्यान दे रही है। हालांकि भाजपा की राष्ट्रीय ईकाई में कुछ नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रशासन को लेकर बहुत अच्छी राय नहीं रखते, लेकिन वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री की नीयत, मेहनत और प्रयास पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता।
जनसंपर्क अभियान और जन दुख में भागीदारी से बदलेगी तस्वीर
भाजपा के प्रयागराज में एक नेता हैं, संघ की पृष्ठभूमि से हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के जन संपर्क प्रभारी रहे हैं। वह कहते हैं कि संघ के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर सक्रिय हो रहे हैं। सह संगठन मंत्री भवानी सिंह के निधन से एक रिक्तता जरूर आई है, लेकिन जल्द ही इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा। सूत्र का कहना है कि हम घर-घर लोगों से जन संपर्क अभियान का खाका तैयार कर रहे हैं। राज्य में लॉकडाउन खत्म होने के बाद यह प्रक्रिया काफी तेजी से आरंभ हो जाएगी। केवल जमीनी स्तर पर काम करने के लिए पार्टी के पास केवल नवंबर 2021 तक का ही समय है। इन छह महीनों के भीतर भाजपा को एक बार फिर नंबर एक पार्टी बना देना है। सूत्र का कहना है कि विपक्षी दलों ने भाजपा और योगी सरकार के खिलाफ बहुत दुष्प्रचार किया है। जनता के बीच में जाकर इसे दूर करने की जरूरत है।

विस्तार

भाजपा का पूरा फोकस अब 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कोरोना संक्रमण के साथ-साथ समीक्षा बैठकों का सिलसिला तेज कर दिया है। अगले महीने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी उत्तर प्रदेश का दौरा कर सकते हैं। यह दौरा अब करीब-करीब हर महीने होने वाला है। सूत्र बताते हैं कि राज्य में प्रस्तावित चुनाव को देखते हुए केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की भी भूमिका बढ़ सकती है।

संगठन मंत्री सुनील बंसल ने अपनी सक्रियता काफी बढ़ा दी है। वह पार्टी पदाधिकारियों, संगठन के लोगों तथा कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में हैं। भाजपा के सह संगठन मंत्री भवानी सिंह के निधन के बाद जल्द ही किसी नेता को सह-संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कुल मिलाकर पार्टी की कोशिश उत्तर प्रदेश में सरकार विरोधी लहर कम करने, कोरोना से जनता में पैदा हुई नाराजगी से निपटने और 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह सहयोगियों के सहारे पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की है।गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2022 में प्रस्तावित चुनावों को देखते हुए भाजपा और संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पिछले हफ्ते बैठक की थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल शामिल हुए थे। इसके बाद दत्तात्रेय होसबोले ने लखनऊ में संगठन के कामकाज के बहाने प्रवास किया था। सूत्र बताते हैं कि राज्य में उन्होंने संघ के वरिष्ठ नेताओं से भी फीडबैक लिया। हालांकि वह भाजपा के किसी नेता से नहीं मिले। इसके बाद सर कार्यवाह दिल्ली आए और एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक बाद ही राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भोपाल से लखनऊ पहुंची और शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिलने गए। इसके बाद से लखनऊ का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है।

अगले महीने होगा मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार से बहुत हद तक सहमत नहीं है। उसका मानना है कि यह समय क्षेत्र पर ध्यान देने का है। इसके लिए पार्टी के विधायकों, सांसदों, मंत्रियों सभी को युद्धस्तर पर जुट जाना चाहिए। वहीं भाजपा के नेताओं में जून के पहले सप्ताह तक कभी भी मंत्रिमंडल में कुछ फेरबदल की चर्चा जोर पकड़ चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री का कहना है कि मंत्रिमंडल में बदलाव होगा अथवा नहीं, यह तो वह नहीं बता सकते। वह केवल इतना कह सकते हैं जमीन पर काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार इस पर पूरा ध्यान दे रही है। हालांकि भाजपा की राष्ट्रीय ईकाई में कुछ नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रशासन को लेकर बहुत अच्छी राय नहीं रखते, लेकिन वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री की नीयत, मेहनत और प्रयास पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता।
जनसंपर्क अभियान और जन दुख में भागीदारी से बदलेगी तस्वीर
भाजपा के प्रयागराज में एक नेता हैं, संघ की पृष्ठभूमि से हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के जन संपर्क प्रभारी रहे हैं। वह कहते हैं कि संघ के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर सक्रिय हो रहे हैं। सह संगठन मंत्री भवानी सिंह के निधन से एक रिक्तता जरूर आई है, लेकिन जल्द ही इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा। सूत्र का कहना है कि हम घर-घर लोगों से जन संपर्क अभियान का खाका तैयार कर रहे हैं। राज्य में लॉकडाउन खत्म होने के बाद यह प्रक्रिया काफी तेजी से आरंभ हो जाएगी। केवल जमीनी स्तर पर काम करने के लिए पार्टी के पास केवल नवंबर 2021 तक का ही समय है। इन छह महीनों के भीतर भाजपा को एक बार फिर नंबर एक पार्टी बना देना है। सूत्र का कहना है कि विपक्षी दलों ने भाजपा और योगी सरकार के खिलाफ बहुत दुष्प्रचार किया है। जनता के बीच में जाकर इसे दूर करने की जरूरत है।