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निजी मेडिकल कॉलेजों पर कसेगा शिकंजा, 50 फीसदी सीटों पर कम होगी फीस

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नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस पर शिकंजा कसने की नई रणनीति अपनाई है। इसके तहत इन कॉलेजों की 50 फीसदी सीट को रेगुलेट करने की तैयारी है। इसका मसौदा जारी कर दिया गया है। इसे अगले सत्र से लागू किया जाएगा।
प्रदेश में निजी क्षेत्र के 31 कॉलेज में 4150 सीटें हैं, जबकि 22 सरकारी कॉलेजों में करीब 3000 सीटें हैं। निजी कॉलेजों की फीस की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर फीस निर्धारण कमेटी बनी हुई है। यह कमेटी हर साल संबंधित निजी कॉलेज की सुविधाओं के आधार पर फीस का निर्धारण करती है। 25 मई को एनएमसी ने नया मसौदा जारी किया है।इसमें निजी कॉलेजों की फीस निर्धारण से लेकर चिकित्सा शिक्षा में सुधार पर सलाह मांगी गई है। साथ ही निजी कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों को रेगुलेट करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके तहत कमेटी 50 फीसदी सीटें पर अब तक रखी गई फीस के अनुसार सुविधाओं का आकलन कर फीस तय करेगी, जबकि 50 फीसदी सीटों पर फीस कम की जा सकती है। मसौदे में कहा गया है कि कोई भी कॉलेज लाभ के लिए काम नहीं करेगा।

इस मसौदे से निजी कॉलेज संचालकों में हलचल मची हुई है। संचालक इस मामले को लेकर एक बार फिर कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही राज्य फीस निर्धारण कमेटी बनी है। ऐसे में फीस रेगुलेट करने जैसा प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है। एडमिशन के बाद वाली वसूली पर लगेगी रोकनिजी कॉलेज संचालकों में हलचल मचने की बड़ी वजह यह भी है कि एनएमसी का मसौदा पास होने के बाद इनके यहां एडमिशन के बाद पढ़ाई के दौरान विभिन्न तरह के खर्चों पर पूरी तरह से पाबंदी लग जाएगी। छात्रों से अतिरिक्त वसूली नहीं हो पाएगी। हालांकि कैपिटेशन फीस पर 2016 से रोक है। इसके बाद भी किसी न किसी तरह के शुल्क वसूले जाने के आरोप लगते रहते हैं। छात्रों को होगा लाभ

लखनऊ। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस पर शिकंजा कसने की नई रणनीति अपनाई है। इसके तहत इन कॉलेजों की 50 फीसदी सीट को रेगुलेट करने की तैयारी है। इसका मसौदा जारी कर दिया गया है। इसे अगले सत्र से लागू किया जाएगा।

प्रदेश में निजी क्षेत्र के 31 कॉलेज में 4150 सीटें हैं, जबकि 22 सरकारी कॉलेजों में करीब 3000 सीटें हैं। निजी कॉलेजों की फीस की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर फीस निर्धारण कमेटी बनी हुई है। यह कमेटी हर साल संबंधित निजी कॉलेज की सुविधाओं के आधार पर फीस का निर्धारण करती है। 25 मई को एनएमसी ने नया मसौदा जारी किया है।

इसमें निजी कॉलेजों की फीस निर्धारण से लेकर चिकित्सा शिक्षा में सुधार पर सलाह मांगी गई है। साथ ही निजी कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों को रेगुलेट करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके तहत कमेटी 50 फीसदी सीटें पर अब तक रखी गई फीस के अनुसार सुविधाओं का आकलन कर फीस तय करेगी, जबकि 50 फीसदी सीटों पर फीस कम की जा सकती है। मसौदे में कहा गया है कि कोई भी कॉलेज लाभ के लिए काम नहीं करेगा।

इस मसौदे से निजी कॉलेज संचालकों में हलचल मची हुई है। संचालक इस मामले को लेकर एक बार फिर कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही राज्य फीस निर्धारण कमेटी बनी है। ऐसे में फीस रेगुलेट करने जैसा प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है। एडमिशन के बाद वाली वसूली पर लगेगी रोकनिजी कॉलेज संचालकों में हलचल मचने की बड़ी वजह यह भी है कि एनएमसी का मसौदा पास होने के बाद इनके यहां एडमिशन के बाद पढ़ाई के दौरान विभिन्न तरह के खर्चों पर पूरी तरह से पाबंदी लग जाएगी। छात्रों से अतिरिक्त वसूली नहीं हो पाएगी। हालांकि कैपिटेशन फीस पर 2016 से रोक है। इसके बाद भी किसी न किसी तरह के शुल्क वसूले जाने के आरोप लगते रहते हैं। छात्रों को होगा लाभ