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अस्पताल दर अस्पताल भटकता रहा परिवार… टूट गई सांसों की डोर

उखड़ती सांसों के बीच आखिरी बार पति और बच्चों से मिलना चाहती थीं शिक्षामित्रचुनाव की ड्यूटी से लौटीं प्रीति को कोरोना ने ऐसा जकड़ा कि जान लेकर ही छोड़ा
बरेली। कोरना काल में कराए गए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ने कई परिवारों को दुख के ऐसे समंदर में धकेल दिया है, जिसका कोई अंत नहीं। पंचायत चुनाव से लौटीं शिक्षामित्र प्रीति अपने आखिरी वक्त में बस पति और बच्चों को देखना चाहती थीं मगर उनकी ये ख्वाहिश भी पूरी नहीं हो सकी। परिवार वाले अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे और एंबुलेंस में ही प्रीति की सांस टूट गई।पीएस बेहटा बुजुर्ग में प्रीति शिक्षामित्र के पद पर तैनात थी। पति गिरीश भी एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं। गिरीश ने बताया कि पंचायत चुनाव में प्रीति की ड्यूटी लगी थी। चुनाव के अगले ही दिन प्रीति को बुखार आ गया। बुखार नहीं उतरा तो एंटीजन जांच कराई। जांच में प्रीति और गिरीश दोनों पॉजीटिव निकले। गिरीश ने बताया कि डॉक्टर की सलाह पर होम आइसोलेट होकर घर में ही इलाज शुरू किया। प्रीति को सांस लेने में दिक्कत हुई तो परिजन अस्पताल में भर्ती कराने के लिए निकले। बरेली में कहीं ऑक्सीजन बेड नहीं मिल सका। प्रीति को किसी तरह मुरादाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया मगर अस्पताल वालों ने कहा कि कुछ ही देर में ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इस दौरान गजरौला में एक अस्पताल के बारे में जानकारी हुई। परिजन गजरौला लेकर पहुंचे। वहां प्रीति को भर्ती कराया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। ऑक्सीजन स्तर तेजी से नीचे गिर रहा था और 60 के नीचे आ गया।गिरीश ने बताया कि एक मई को प्रीति के भाई ने बरेली में एक अस्पताल में बेड की व्यवस्था की। इस पर प्रीति को बरेली ले आए मगर अस्पताल वालों ने जिला अस्पताल का रेफर लेटर मांगा। हमारे पास कोई रेफर लेटर नहीं था। रेफर लेटर के बिना अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। इस बीच प्रीति का ऑक्सीजन स्तर से 40 के करीब पहुंच गया। शहर में कहीं भी ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहा था। एंबुलेंस में जो ऑक्सीजन थी, वह भी खत्म हो रही थी। प्रीति की सांसे उखड़ने लगीं थीं। उसने कहा कि वह अंतिम समय में पति और बच्चों को देखना चाहती है। परिजन उसे लेकर घर के लिए निकले लेकिन प्रीति ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
बच्चे पूछते हैं मां कहा है… क्या जवाब दूं
प्रीति को याद करते हुए आज भी गिरीश का गला भर आता है। गिरीश बताते हैं कि वह अंतिम समय में प्रीति से बात तक नहीं कर सके। प्रीति का बेटा पांच साल का और बेटी तीन साल की है। दोनों बच्चे रोते हुए जब मां के बारे में पूछते हैं तो तो गिरीश के पास कोई जवाब नहीं होता। गिरीश कहते हैं कि प्रीति तो चली गईं अब बच्चों का भविष्य बनाना ही उनका सपना है। बच्चों की भविष्य की खातिर सरकार से मदद आर्थिक मदद भी चाहते हैं।

कोरना काल में कराए गए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ने कई परिवारों को दुख के ऐसे समंदर में धकेल दिया है, जिसका कोई अंत नहीं। पंचायत चुनाव से लौटीं शिक्षामित्र प्रीति अपने आखिरी वक्त में बस पति और बच्चों को देखना चाहती थीं मगर उनकी ये ख्वाहिश भी पूरी नहीं हो सकी। परिवार वाले अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे और एंबुलेंस में ही प्रीति की सांस टूट गई।

पीएस बेहटा बुजुर्ग में प्रीति शिक्षामित्र के पद पर तैनात थी। पति गिरीश भी एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं। गिरीश ने बताया कि पंचायत चुनाव में प्रीति की ड्यूटी लगी थी। चुनाव के अगले ही दिन प्रीति को बुखार आ गया। बुखार नहीं उतरा तो एंटीजन जांच कराई। जांच में प्रीति और गिरीश दोनों पॉजीटिव निकले। गिरीश ने बताया कि डॉक्टर की सलाह पर होम आइसोलेट होकर घर में ही इलाज शुरू किया। प्रीति को सांस लेने में दिक्कत हुई तो परिजन अस्पताल में भर्ती कराने के लिए निकले। बरेली में कहीं ऑक्सीजन बेड नहीं मिल सका। प्रीति को किसी तरह मुरादाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया मगर अस्पताल वालों ने कहा कि कुछ ही देर में ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इस दौरान गजरौला में एक अस्पताल के बारे में जानकारी हुई। परिजन गजरौला लेकर पहुंचे। वहां प्रीति को भर्ती कराया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। ऑक्सीजन स्तर तेजी से नीचे गिर रहा था और 60 के नीचे आ गया।

गिरीश ने बताया कि एक मई को प्रीति के भाई ने बरेली में एक अस्पताल में बेड की व्यवस्था की। इस पर प्रीति को बरेली ले आए मगर अस्पताल वालों ने जिला अस्पताल का रेफर लेटर मांगा। हमारे पास कोई रेफर लेटर नहीं था। रेफर लेटर के बिना अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। इस बीच प्रीति का ऑक्सीजन स्तर से 40 के करीब पहुंच गया। शहर में कहीं भी ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहा था। एंबुलेंस में जो ऑक्सीजन थी, वह भी खत्म हो रही थी। प्रीति की सांसे उखड़ने लगीं थीं। उसने कहा कि वह अंतिम समय में पति और बच्चों को देखना चाहती है। परिजन उसे लेकर घर के लिए निकले लेकिन प्रीति ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।