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अलीगढ़ की वैक्सीन लगी नोएडावासियों को, कोरोना से तुरंत ठीक हुए मरीज भी लगवा रहे टीका

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देश में हो रहे टीकाकरण की बेहतर निगरानी व्यवस्था न होने के चलते इस पूरे अभियान में बहुत बड़े खेल हो रहे हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में टीकाकरण को लेकर ऐसी जानकारियां सामने आ रही हैं जो राज्य सरकारों से लेकर टीकाकरण की पूरी की पूरी वितरण प्रणाली पर ही सवाल उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नोएडा में जहां अलीगढ़ की वैक्सीन लगा दी जाती है, वहीं देश के अलग-अलग राज्यों में वैक्सीनेशन के लिए तय प्रोटोकॉल का पालन ही नहीं हो पा रहा है। कोई शख्स कोविड होने के तुरंत बाद ठीक होकर अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर टीका लगवा लेता है तो कहीं टीके के लिए केंद्रों पर कोई पूछताछ किए बगैर ही टीका लगा दिया जाता है।टीकाकरण की ऐसी लचर व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे हैं। मध्यप्रदेश में टीकाकरण की अव्यवस्थाओं के दौर के बीच हालिया मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में सामने आया है। ग्रेटर नोएडा के जेपी ग्रीन्स इलाके में दो बार कोवाक्सिन टीकाकरण कैंप लगाए गए। जिसमें टीका तो नोएडा के जेपी ग्रीन सोसाइटी में लगा, लेकिन कोविन पोर्टल से जब लोगों ने सर्टिफिकेट डाउनलोड किया तो उनको टीकाकरण का स्थान अलीगढ़ दिखाया गया। ऐसे में इस टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल लग गए।
जेपी ग्रीन्स हाउसिंग सोसायटी के लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे टीकाकरण अभियान की जांच की जाए। यह टीकाकरण 21 मई और 27 मई को जेपी ग्रीन्स सोसाइटी के एक घर में लगाया गया था। सोसायटी के लोगों ने जिला प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर यह जानना चाहा है कि अगर वैक्सीन नोएडा के जेपी ग्रींस सोसाइटी में लगाई गई तो उसका सर्टिफिकेट अलीगढ़ का कैसे आया। जेपी ग्रीन्स रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि वह इस पूरे टीकाकरण अभियान की जांच कराएं। ताकि उन लोगों को इस बात का पता लग सके जो टीका लगाया गया है वह वास्तव में असली है या नहीं। इसके अलावा उन्होंने यह भी मांग की है कि अलीगढ़ के नाम पर जारी होने वाले प्रमाण पत्र वाली वैक्सीन को नोएडा में कैसे लगाया गया। इसके लिए अलीगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भी संपर्क करके पूरे मामले की तहकीकात की जाए।नोएडा में ही इस पूरे मामले की लापरवाही के मामले पर उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी कहते हैं कि जिस वैक्सीन का क्रमांक जिस जिले के लिए होगा वह किसी दूसरी जगह तो लग ही नहीं सकती। उन्होंने कहा इस पूरे मामले की संबंधित अधिकारियों से जांच करवाई जाएगी और जो इस मामले में दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। क्योंकि यह देश का सबसे महत्वपूर्ण टीकाकरण अभियान चल रहा है। ऐसे मामलों में किसी भी तरीके की लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
टीकाकरण अभियान में लापरवाही का मामला सिर्फ नोएडा से ही सामने नहीं आया है। इससे पहले कानपुर नगर और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के कुछ जिलों समेत मध्यप्रदेश के कई जिलों से भी टीकाकरण के ऐसे ही कई मामले सामने आ चुके हैं। मध्यप्रदेश के गुना इलाके में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जिसमें टीके लोगों को लगवा दिए गए, लेकिन उनका टीकाकरण स्थल किसी दूसरे जगह का था। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में तो टीका लगाने वाले कर्मचारियों ने ही खूब लापरवाही या की। इसमें अलग-अलग कंपनियों की पहली और दूसरी डोज़ को बदल कर लगा दिया।लापरवाही के सिर्फ यही मामले सामने नहीं आए हैं। ताजा मामला देश की राजधानी दिल्ली और मुंबई समेत तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ शहरों से भी सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक उनके पास कुछ ऐसी जानकारियां हैं जिसमें कोविन पोर्टल पर ऐसे लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर टीका लगवा लिया, जो कोरोना की बीमारी से हाल ही में उबरे थे। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइंस के मुताबिक कोविड का टीका ऐसे लोगों में तीन महीने बाद लगना है। दरअसल इस पोर्टल पर ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिसमें इसकी मॉनिटरिंग की जा सके कि रजिस्ट्रेशन कराने वाले व्यक्ति को कभी यह बीमारी हुई है या नहीं। अगर हुई है तो क्या तीन महीने वाली नई व्यवस्था को वह फॉलो कर पा रहा है या नहीं।