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‘बाल सेवा योजना’ के लिए प्रदेश के 2100 बच्चों को मिलेगा फायदा, इन दस्तावजों के आधार पर मिलेगा लाभ

लखनऊकोरोना महामारी के बीच अनाथ हुए बच्चों के भविष्य की सुरक्षा और उनकी देखभाल के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के नियम और शर्तें अब तय कर दी गई हैं। महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने लाभ लेने वाले बच्चों की सूची के साथ आदेश जारी करते बताया कि इस योजना का लाभ 18 साल तक के बच्चों को मिल पाएगा।195 पूरी तरह अनाथमहिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ लेने वाले 2100 बच्चों की सूची तैयार की गई है। इनमें से लगभग 195 बच्चे पूरी तरह अनाथ बताए जा रहे हैं। निदेशक मनोज राय ने बताया कि इस योजना में 18 साल तक की उम्र वाले उन बच्चों रखा जाएगा, जिनके एकल अभिभावक, दोनों अभिभावक या फिर कमाने वाले अभिभावक की मौत कोरोना से हो गई हो। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के वर्तमान में जीवित मां-पिता या फिर परिवार की आय 2 लाख रुपये सालाना से अधिक नहीं होनी चाहिए।11 से 18 साल वाले बच्चे अटल आवासीय में रहकर प्राप्त करेंगे मुफ्त शिक्षामुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 10 साल तक के बच्चों के वैध संरक्षक के खाते में 4000 रुपये प्रति माह ट्रांसफर किए जाएंगे।

दोनों अभिभावकों की मौत होने वाले बच्चों को बाल देखभाल संस्थाओं में रखा जाएगा और इन्हीं बच्चों में कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों के लिए अटल आवासीय या केजीबीवी में प्रवेश दिलाया जाएगा, जहां 11 से 18 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने सहूलियत देते हुए बताया कि यदि बच्चे के संरक्षक इन स्कूलों में बच्चों को न पढ़ाना चाहें तो बच्चे की उम्र 18 साल पूरी होने तक या कक्षा 12 की शिक्षा पूरी होने तक 4000 रुपये की धनराशि दी जाएगी।इन ‘दस्तावेजों’ के आधार पर मिलेगा योजना का लाभउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से महामारी के बीच अनाथ हुए बच्चों की देखभाल के लिए शुरू की गई सेवा का लाभ लेने के लिए कुछ जरूरी दस्तावजों को भी अनिवार्य किया गया है। जिसमें बच्चे एवं अभिभावक की नवीनतम फोटो सहित पूर्ण आवेदन, माता/पिता दोनों जैसी स्थिति हो, उनका मृत्यु प्रमाण पत्र, कोरोना से हुई मृत्यु का साक्ष्य, आय प्रमाण पत्र ( यदि माता-पिता दोनों की मृत्यु हुई है तो जरूरी नहीं है), बच्चे का आयु प्रमाण पत्र, शिक्षण संस्थान में पंजीयन का प्रमाण, उत्तर प्रदेश में निवासी होने का घोषणा पत्र आदि को शामिल किया गया है।