कर्नाटक चुनाव में अब एक महीने से थोड़ा ही ज्यादा वक्त रह गया है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल नफा-नुकसान के सियासी गठजोड़ और मंदिरों-मठों के दौरे में व्यस्त हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पहले ही मास्टर स्ट्रोक जड़ते हुए लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का एलान कर जरूरी कागजी कार्रवाई कर दी है और गेंद केंद्र की बीजेपी सरकार के पाले में डाल दिया है। कांग्रेस को इसका फायदा भी मिलता दिख रहा है। लिंगायत समुदाय का पहली महिला संत माते महादेवी ने कांग्रेस नेता और सीएम सिद्धारमैया का समर्थन किया है और लिंगायत समुदाय के लोगों से बीजेपी को छोड़ कांग्रेस का साथ देने का आह्वान किया है।
माते महादेवी ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना भी साधा है और उन पर आरोप लगाया है कि वो झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। माते महादेवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 18 अप्रैल तक लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का भी अल्टीमेटम दिया है। बता दें कि राज्य में लिंगायत समुदाय की करीब 18 फीसदी आबादी है। यह समुदाय पारंपरिक रूप से बीजेपी का वोट बैंक रहा है मगर सिद्धारमैया ने बड़ी राजनीतिक चाल चलते हुए बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बी एस येदुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं।
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