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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों में सुनवाई के लिए जारी किया दिशा निर्देश

हाईकोर्ट प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद प्रदेश की सभी जिला अदालतों, अधीनस्थ अधिकरणों में मुकदमों की सुनवाई के दिशा-निर्देश जारी कर दिए  हैं। महानिबंधक आशीष गर्ग की अधिसूचना के अनुसार न्यूनतम स्टाफ व अधिकतम आठ न्यायिक अधिकारियों से रोटेशन के आधार पर जरूरी मामलों की सुनवाई करने को कहा गया है। ये न्यायालय अतिआवश्यक नए मुकदमे, जमानत प्रार्थनापत्र, अवमुक्ति अर्जी, सीआरपीसी की धारा 164 के बयान, रिमांड, आपराधिक अर्जियों का निस्तारण, निषेधाज्ञा और जरूरी सिविल मामलों की सुनवाई करेंगे।नए मुकदमों की सुनवाई जरूरी होने की अर्जी स्थानीय स्तर पर तय की जाएगी। सभी आदेश सीआईएस पर अपलोड किए जाएंगे। बंधपत्र आदि स्वीकार करने का तंत्र स्थानीय स्तर पर तय होगा। जिला जज पेन्डेमिक गाइडलाइंस के तहत सुनिश्चित करेंगे कि 33 फीसदी से अधिक स्टाफ कोर्ट परिसर न आए। इस गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया गया है। संवाद

हाईकोर्ट प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद प्रदेश की सभी जिला अदालतों, अधीनस्थ अधिकरणों में मुकदमों की सुनवाई के दिशा-निर्देश जारी कर दिए  हैं। महानिबंधक आशीष गर्ग की अधिसूचना के अनुसार न्यूनतम स्टाफ व अधिकतम आठ न्यायिक अधिकारियों से रोटेशन के आधार पर जरूरी मामलों की सुनवाई करने को कहा गया है। ये न्यायालय अतिआवश्यक नए मुकदमे, जमानत प्रार्थनापत्र, अवमुक्ति अर्जी, सीआरपीसी की धारा 164 के बयान, रिमांड, आपराधिक अर्जियों का निस्तारण, निषेधाज्ञा और जरूरी सिविल मामलों की सुनवाई करेंगे।

नए मुकदमों की सुनवाई जरूरी होने की अर्जी स्थानीय स्तर पर तय की जाएगी। सभी आदेश सीआईएस पर अपलोड किए जाएंगे। बंधपत्र आदि स्वीकार करने का तंत्र स्थानीय स्तर पर तय होगा। जिला जज पेन्डेमिक गाइडलाइंस के तहत सुनिश्चित करेंगे कि 33 फीसदी से अधिक स्टाफ कोर्ट परिसर न आए। इस गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया गया है। संवाद