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मुंशी प्रेमचंद के घर की पानी की टंकी तोड़ी, जमीन पर भी कब्जा, शिकायत के बाद तहसील व वीडीए की टीम ने किया निरीक्षण

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का वाराणसी के लमही स्थित घर की पानी की टंकी परिवार के आपसी विवाद में तोड़ दी गई। पुस्तकालय के पास की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। शिकायत के बाद तहसील और विकास प्राधिकरण की टीम भी मंगलवार को मौके पर पहुंची। जांच में पानी की टंकी तोड़ने की शिकायत सही पाई गई, ऐसे में अब पानी की टंकी तोड़ने वालों से वसूली के लिए नोटिस जारी किया जा रहा है।दरअसल, मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली पर बने आवास को संरक्षित करने के लिए विकास प्राधिकरण ने कई साल पहले पुस्तकालय के सामने की जमीन का बैनामा कराया था। इसी के पास तत्कालीन मंडलायुक्त सुरेश चंद्रा ने पानी की टंकी बनवाकर उससे पुस्तकालय और आवास में पेयजल की आपूर्ति शुरू कराई थी। इस बीच मुंशी प्रेमचंद के परिवार से जुड़े लोग जमीन पर कब्जा करने को लेकर विवाद करने लगे। एक गुट ने पुस्तकालय की जमीन पर दावा करते हुए पानी की टंकी गिरवा दिया। इसके बाद दूसरे गुट ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से की।
जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच कराई तो पानी की टंकी को अवैध तरीके से गिराना पाया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद के आवास और पुस्तकालय के सामने की 21 बिस्वा जमीन प्रेमचंद शोध संस्थान के नाम से बीएचयू को दी गई थी।कुछ दिन बाद जमीन देने वाले ग्रामीण ने उसे किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दी। यहां दुकानों का निर्माण भी करा लिया गया। इसके बाद से ही पुस्तकालय की जमीन पर विवाद शुरू हो गया। तहसील की रिपोर्ट मिली है और इसी आधार पर वीडीए की टीम को मौके पर भेजा गया था। टंकी तोड़ने वालों से वसूली के साथ ही उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का वाराणसी के लमही स्थित घर की पानी की टंकी परिवार के आपसी विवाद में तोड़ दी गई। पुस्तकालय के पास की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। शिकायत के बाद तहसील और विकास प्राधिकरण की टीम भी मंगलवार को मौके पर पहुंची। जांच में पानी की टंकी तोड़ने की शिकायत सही पाई गई, ऐसे में अब पानी की टंकी तोड़ने वालों से वसूली के लिए नोटिस जारी किया जा रहा है।

दरअसल, मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली पर बने आवास को संरक्षित करने के लिए विकास प्राधिकरण ने कई साल पहले पुस्तकालय के सामने की जमीन का बैनामा कराया था। इसी के पास तत्कालीन मंडलायुक्त सुरेश चंद्रा ने पानी की टंकी बनवाकर उससे पुस्तकालय और आवास में पेयजल की आपूर्ति शुरू कराई थी। इस बीच मुंशी प्रेमचंद के परिवार से जुड़े लोग जमीन पर कब्जा करने को लेकर विवाद करने लगे। एक गुट ने पुस्तकालय की जमीन पर दावा करते हुए पानी की टंकी गिरवा दिया। इसके बाद दूसरे गुट ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से की।

जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच कराई तो पानी की टंकी को अवैध तरीके से गिराना पाया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद के आवास और पुस्तकालय के सामने की 21 बिस्वा जमीन प्रेमचंद शोध संस्थान के नाम से बीएचयू को दी गई थी।कुछ दिन बाद जमीन देने वाले ग्रामीण ने उसे किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दी। यहां दुकानों का निर्माण भी करा लिया गया। इसके बाद से ही पुस्तकालय की जमीन पर विवाद शुरू हो गया। तहसील की रिपोर्ट मिली है और इसी आधार पर वीडीए की टीम को मौके पर भेजा गया था। टंकी तोड़ने वालों से वसूली के साथ ही उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।