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कोरोना संकट काल में भी राज्य सरकार की योजनाओं से छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था रही मजबूत : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना संकट ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, लेकिन पूरे कोरोना काल में छत्तीसगढ़ में न तो रोजगार की कमी हुई और न रोटी की। राज्य सरकार की योजनाओं से इस चुनौती पूर्ण समय में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत और गतिशील रही। प्रदेश में किसानों और वनवासियों के कल्याण के लिए प्राथमिकता से कार्य किए जा रहे हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय जैसी योजना शुरू की गई है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों, महिलाओं और ग्रामीणों को गांवों में ही रोजगार मिल रहा है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में रायगढ़ और जशपुर जिले में करीब 592 करोड़ रूपए की लागत के विभिन्न निर्माण कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इनमें रायगढ़ जिले के 308 करोड़ 31 लाख रूपए और जशपुर जिले के 283 करोड़ 70 लाख रूपए के निर्माण और विकास कार्य शामिल हैं। इस अवसर पर गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री गुरु रुद्र कुमार, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू  उपस्थित थे। रायगढ़ से उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल, विधायक श्री प्रकाश नायक, श्री चक्रधर सिंह सिदार, श्री लालजीत सिंह राठिया, श्रीमती उत्तरी जांगडे तथा जशपुर से संसदीय सचिव श्री यू.डी. मिन्ज, विधायक सर्वश्री विनय कुमार भगत, कार्यक्रम में जुड़े। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर दोनों जिलों में विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से चर्चा कर उनसे योजना से मिले फायदे की जानकारी ली।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि रायगढ़ और जशपुर जिले में कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की भरपूर संभावनाएं हैं। जशपुर में धान, कोदो-कुटकी के साथ नाशपती, काजू, लीची, स्ट्राबेरी का उत्पादन हो रहा है। अब यहां सेब की फसल लेने की भी तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि जशपुर में चाय की खेती हो रही है। चाय की प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की गई है। जिले में स्थापित गौठानों के जरिए महिला स्व-सहायता समूहों को गांवों में रोजगार दिलाया जा रहा है। कोरोना काल में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने महुआ से सेनेटाइजर बनाकर खूब नाम कमाया है। यहां की महिलाओं द्वारा बनाए गए चवनप्राश भी खूब प्रसिद्ध हो रहा है।     रायगढ़ जिले के लैलूंगा के जवाफूल चावल के उत्पादन बढ़ाने निर्यात करने और इसकी ऑनलाईन प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए शासन द्वारा व्यवस्था की जा रही है।
    मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना संकट काल में राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने किसानों तक वास्तव में न्याय पहुंचाया है। कोरोना काल में इस योजना ने किसानों को बड़ा संबल प्रदान किया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना को अब और विस्तारित किया गया है। इस साल योजना में नए प्रावधान करके किसानों के लिए आय के नए जरिए खोले गए हैं। जिन खेतों में किसानों ने पिछली बार धान बोया था, इस साल यदि वे दूसरी फसल लेते है या फिर वृक्षारोपण करते है उन्हें धान पर मिलने वाली आदान सहायता से ज्यादा आदान सहायता राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कोदो-कुटकी बोने वाले किसानों को भी राजीव गांधी किसान न्याय योजना को दायरे में लाया गया है। इससे वनवासी क्षेत्रों के और भी अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिल पाएगा। कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3000 हजार रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया जा चुका है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब वनोपज बड़े बदलाव का जरिया बन गई है। कोरोना संकट काल में समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले वनोपज की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 कर दी गई। इससे बड़ी संख्या में न केवल वनवासियों को वनोपज संग्रहण का वाजिब मूल्य मिला, बल्कि इससे वनवासी क्षेत्रों में बदलाव का नया दौर शुरू हुआ। जशपुर और रायगढ़ जिले में वनवासियों के बेहतरी के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। वनवासियों को उनका हक दिलाने व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पट्टे और वन संसाधन अधिकार के पट्टे दिए गए हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों की स्कूल शिक्षा कोरोना काल में प्रभावित न हो इसके लिए पढ़ई तुंहर द्वार कार्यक्रम के माध्यम से ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। कोरोना ने जिन बच्चों से उनके अभिभावकों को छिन लिया उनके भविष्य निर्माण की व्यवस्था सरकार कर रही है। उनकी शिक्षा में किसी तरह की बाधा न आए इसके लिए महतारी दुलार योजना शुरू की गई है। ऐसे बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी, साथ ही छात्रवृत्ति भी दी जाएगी तथा इन बच्चों को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों में प्रवेश के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।