एक संसदीय समिति के कई सदस्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों को लेकर गुरुवार को पेट्रोलियम मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से सवाल किया कि इसे रोकने के लिए क्या किया जा रहा है। पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर और सरकारी कंपनियों आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल और गेल के शीर्ष अधिकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश हुए। सूत्रों के अनुसार समिति के कई सदस्यों, मुख्य रूप से विपक्षी दलों ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में लगातार वृद्धि पर सवाल उठाए और कहा कि इससे आम लोगों के घरेलू बजट पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों ने पैनल को बताया कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी हैं। सूत्रों ने कहा कि विपक्ष के एक सदस्य ने अधिकारियों के तर्क का जोरदार विरोध किया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने पर भी घरेलू बाजार में कीमतें ऊंची बनी रहती हैं। कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि पेट्रोलियम कीमतों में संशोधन का निर्णय अक्सर चुनावों के आधार पर लिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में यह बात उठाई गई कि सात राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर है, जबकि कई अन्य राज्यों में यह 100 रुपये के आसपास है।
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