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मठ-मंदिरों की गद्दियां हैं सैकड़ों बीघे की काश्तकार, कई के बने हैं आधार कार्ड

मठ-मंदिरों में सिर्फ दान और चढ़ावा ही नहीं,सैकड़ों बीघे भूमि की अपनी खेती भी है। बाघंबरी गद्दी मठ और क्रिया योग आश्रम जैसे कई मठ सैकड़ों बीघे के संक्रमणीय भूमिधर के तौर पर जिले के बड़े काश्तकार हैं। इनमें आधार कार्ड कुछ मठों के नाम पर हैं, तो कुछ संतों के नाम से जारी कराए गए हैं। कुछ मठों से चावल, गेहूं की बिक्री की जाती है, जबकि ऐसे भी मठ हैं जो सिर्फ गरीबों की मदद के साथ ही आश्रमों का संचालन भी अपनी खेती के अनाजों से करते हैं।बाघंबरी गद्दी मठ केे पास प्रयागराज और कौशांबी को मिलाकर कुल 80 बीघा से अधिक कृषि भूमि है। बाघंबरी गद्दी मठ की यह संक्रमणीय भूमिधरी है, जिस पर गेंहू, धान केे अलावा अन्य फसलें उगाई जाती हैं।  मठ की जमीनों पर सब्जियां भी उगाई जाती हैं। इस मठ की गद्दी के नाम से कोई आधार कार्ड नहीं है। अनाज की बिक्री कभी होती भी है, तो महंत के नाम से जारी आधार कार्ड का इस्तेमाल होता है।
बाघंबरी गद्दी मठ के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि बताते हैं कि मठ की जमीनों पर जो खेती होती है,उससे आने वाले अनाज का ज्यादातर इस्तेमाल मठ के संचालन में ही हो जाता है। पिछले वर्ष मठ का चावल बेचा गया था। तब उनके आधार पर ही चावल की बिक्री हुई थी। इसी तरह इस जिले केे सबसे बड़े भूमिधर के तौर पर फिलहाल क्रियायोग आश्रम झूंसी का नाम है। इस आश्रम के पास करछना में 120 बीघा और बरौत के पास 60 बीघा भूमि है। करछना में खेती होती है। वहां धान और गेहूं क उन्नतिशील प्रजातियों की खेती होती है।
आश्रम के संस्थापक स्वामी योगी सत्यम के अनुसार अभी करछना में सिर्फ 30 बीघे भूमि पर ही खेती हो पा रही है। शेष कृषि योग्य भूमि पर भी खेती की योजना है, लेकिन अभी इसमें समय लग सकता है। स्वामी सत्यम बताते हैं कि अभी खेती से जो भी अनाज पैदा होता है, उसका इस्तेमाल आश्रम में ही हो जा रहा है। बाजार में अनाज बेचने की कभी नौबत नहीं आई। हालांकि क्रियायोग आश्रम के नाम से आधार कार्ड भी बनवाया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सके। इसी तरह झूंसी के ही सदाफल देव आश्रम में भी 10 एकड़ भूमि पर सब्जियां उगाई जाती हैं। आश्रम के ट्रस्टी विजय बहादुर सिंह के मुताबिक आधार कार्ड तो आश्रम के अध्यक्ष स्वतंत्र देव महाराज के नाम से है, लेकिन सब्जी कभी बेची नहीं जाती है। इसलिए आधार के इस्तेमाल की जरूरत ही नहीं पड़ती।मठों से भगवान का आधार कार्ड मांगना गलत: महंत नरेंद्र गिरिमहोबा में सरकारी क्रय केंद्रों पर मठ -मंदिरों का अनाज बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड मांगे जाने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने आपत्ति जताई है। रविवार को को उन्होंने बताया कि महोबा के एक अधिकारी ने अनाज बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड मांगा था। जबकि, ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ परेशान करने का तरीका है। भगवान केे लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। आधार कार्ड जैसी आईडी तो व्यक्ति के लिए है। ऐसे में अफसरों को अपने रवैये में बदलाव करना चाहिए।
मठों से भगवान का आधार कार्ड मांगना गलत: महंत नरेंद्र गिरि
महोबा में सरकारी क्रय केंद्रों पर मठ -मंदिरों का अनाज बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड मांगे जाने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने आपत्ति जताई है। रविवार को  को उन्होंने बताया कि महोबा के एक अधिकारी ने अनाज बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड मांगा था। जबकि, ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ परेशान करने का तरीका है। भगवान केे लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। आधार कार्ड जैसी आईडी तो व्यक्ति के लिए है। ऐसे में अफसरों को अपने रवैये में बदलाव करना चाहिए।