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​​​​​​शांति का एक ही मंत्र है- विकास, विश्वास और सुरक्षा: श्री भूपेश बघेल

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भूपेश बघेल ने कहा है कि शांति का एक ही मंत्र है- विकास, विश्वास और सुरक्षा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बस्तर अंचल के लोगों को विकास की मुख्यधारा में आगे लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। वनवासियों को जल-जंगल और जमीन का हक देने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टों के साथ वन संसाधनों का भी अधिकार दिया जा रहा है। वनवासियों को तेंदूपत्ता सहित लघु वनोपजों का सही मूल्य दिलाने के साथ-साथ रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है। बस्तर अंचल में स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत की गई हैं। वनवासियों, किसानों, महिलाओं और ग्रामीणों तक राज्य शासन की योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। जिससे उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आ रहा है। 
    मुख्यमंत्री श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में कांकेर और नारायणपुर जिले को 222 करोड़ रूपए के 275 विकास कार्यों की सौगात दी। उन्होंने कांकेर जिले में 152 करोड़ 59 लाख रूपए की लागत के 145 कार्यों का और नारायणपुर जिले में 69 करोड़ 75 लाख रूपए की लागत के 130 निर्माण कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर विधानसभा उपाध्यक्ष श्री मनोज मण्डावी के आग्रह पर कांकेर जिले के कोड़ेकुर्से में विद्युत सब-स्टेशन की घोषणा की। संसदीय सचिव श्री शिशुपाल सिंह सोरी और मुख्यमंत्री के सलाह श्री राजेश तिवारी के आग्रह पर कांकेर में बीएड कॉलेज और चारामा विकासखण्ड के ग्राम गिधाली के स्कूल चौक में गलवान घाटी में शहीद श्री गणेश कुंजाम की प्रतिमा की स्थापना के लिए 2 लाख रूपए की स्वीकृति की घोषणा। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप के आग्रह पर नारायणपुर जिले में मधुमक्खी पालन के लिए कलेक्टर को डीएमएफ और सीएसआर मद से आवश्यक कार्य कराने के लिए स्वीकृति देने के निर्देश दिए।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वनवासियों, किसानों, महिलाओं और ग्रामीणों के जीवन मे बदलाव के लिए नई-नई योजनाएं शुरू की है। किसान हितैषी अनेक फैसले भी लिए हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण की दर ढाई हजार रूपए से बढ़ाकर 4000 रूपए की गई है। इसी प्रकार 52 प्रकार के लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य में खरीदने की व्यवस्था से वनवासियों को पहले से ज्यादा कीमत मिल रही है। वनोपज इकट्ठा करने, बेचने, खरीदने प्रोसेसिंग करने का सारा काम अब गांव के लोग ही कर रहे हैं, इससे गांवों के लोगों को रोजगार और भरपूर आमदनी मिल रही है। 
    श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रूपए क्विंटल निर्धारित किया है। वनोपजों की प्रोसेसिंग के साथ ही कोदो-कुटकी की भी प्रोसेसिंग का काम किया जा रहा है। कांकेर के कृषि विकास केन्द्र और दुर्गुकोंदल विकासखण्ड के गोटूलमुंडा गांव में इसकी प्रोसेसिंग यूनिट लग चुकी है। कांकेर के ही इच्छापुर में हर्रा-बेहड़ा की प्रोसेसिंग यूनिट चल रही है। नारायणपुर की फूल-झाडू तो दिल्ली में भी बिक रही है। जो वनोपज कभी शोषण का जरिया थे, आज वनवासियों की बहुत बड़ी ताकत बन गए हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना से अब जमीन भी ऊपजाऊ हो रही है, और सिंचाई का भी इंतजाम हो रहा है। गांव की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। गोबर खरीदकर और गौठान में वर्मी कंपोस्ट बनाकर हमारी हजारों बहनें रोजगार पा रही हैं। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने तो खेती-किसानी में बड़ी क्रांति ही कर दी है। योजना शुरु होने के बाद लगातार खेती का रकबा बढ़ रहा है। किसानों की संख्या भी बढ़ रही है। अब इस योजना का दायरा और बढ़ा दिया गया है।