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अटकलें थीं डेप्युटी CM बनने की, मिला प्रदेश उपाध्यक्ष का पद एके शर्मा का डिमोशन या प्रमोशन, ऐसे समझें

हाइलाइट्स:पूर्व आईएएस और पीएम मोदी के करीबी एके शर्मा को बनाया गया बीजेपी उपाध्यक्ष एके शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए जाने को उनके ‘डिमोशन’ के तौर पर देखा जा रहाएके शर्मा को संगठन में बड़ा पद देकर बीजेपी नेतृत्व ने जताया उन पर भरोसाशर्मा पर 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल में करिश्मा करने का दारोमदारलखनऊपूर्व आईएएस अधिकारी और बीजेपी एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा (AK Sharma news) को संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष जैसा बड़ा पद दिया गया है। महज 5 महीने पहले जनवरी 2021 में पार्टी में शामिल होने वाले एके शर्मा को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष जैसा बड़ा पद मिलना अप्रत्याशित है। हालांकि उन अटकलों को जरूर तगड़ा झटका लगा है, जिनमें उन्हें कैबिनेट मंत्री, उपमुख्यमंत्री और जाने क्या-क्या बनाए जाने की बातें की जा रही थीं। एके शर्मा को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए जाने की खबर के बाद इसे उनके ‘डिमोशन’ के तौर पर भी देखा जा रहा है। मगर क्या सचमुच यह डिमोशन की तरह है या संगठन में बड़ा पद देकर पार्टी नेतृत्व ने उनके ऊपर और ज्यादा भरोसा जताया है

?दरअसल उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली का दौरा किया था और गृह मंत्री अमित शाह, पीएम मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। उनके दौरे से पहले से अटकलें लगाई जा रही थीं कि योगी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल हो सकता है, उनके दौरे के बाद इन अटकलों को और बल मिला। यह भी तय माना जा रहा था कि अगर कैबिनेट विस्तार हुआ तो मोदी के करीबी एके शर्मा को बड़ा पद मिल सकता है। हालांकि अभी तक ऐसे किसी कैबिनेट विस्तार की दूर-दूर तक संभावना नजर नहीं आ रही है।Uttar Pradesh News: UP बीजेपी के उपाध्‍यक्ष बने PM मोदी के करीबी एके शर्मा, डेप्‍युटी CM बनाए जाने की थी चर्चा5 महीने में शानदार तरीके से बढ़ा एके शर्मा का कदअरविंद कुमार शर्मा राजनीति में भले ही नए हैं, मगर एमएलसी बनने के बाद से उनके कामकाज के तरीकों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। बीजेपी में शामिल होने के 10 दिन के अंदर ही उनके ‘आग्रह’ पर रेल मंत्री ने दिल्ली से मऊ के बीच स्पेशल ट्रेन चला दी। इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर में एके शर्मा की यूपी के पूर्वांचल इलाके में सक्रियता देखने वाली रही।

जहां एक ओर योगी कैबिनेट के मंत्री, सांसद, विधायक इस बात का रोना रोते रहे कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है, तो वहीं राजनीति में महज पांच महीने पुराने एके शर्मा पूर्वांचल के जिलों में समीक्षा बैठक लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते देखे गए। उनकी बैठक में जिले का हर बड़ा अफसर शामिल होता और उनके दिशा-निर्देशों को अपनी डायरी में करीने से नोट करता।IAS से MLC बने अरविंद शर्मा ने 10 दिन के अंदर मनवाया अपना लोहा, ‘निवेदन’ पर मऊ से दिल्ली के बीच चली ट्रेनसंगठन में बड़ा पद देने के पीछे क्या मंशा?2022 में सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी को पूर्वांचल में दमखम दिखाना होगा। पूर्वांचल की जंग फतह करने के बाद ही प्रदेश की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है। राज्य की 33 फीसदी सीटें इसी इलाके में हैं। ऐसे में पार्टी को पूर्वांचल में ऐसे कद्दावर चेहरे की जरूरत थी, जो विधानसभा चुनाव में इस इलाके में पार्टी के चुनावी कैंपेन का जमीनी स्तर पर नेतृत्व कर सके। पार्टी की यह तलाश अरविंद कुमार शर्मा पर जाकर खत्म हुई और उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर एक तरह से उनके चुनावी अभियान की आधिकारिक शुरुआत हुई है।

ब्राह्मणों को साधने का एक प्रयासभारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ समय से ब्राह्मणों को साधने की कोशिश भी करती नजर आ रही है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि यूपी में ब्राह्मण बीजेपी और सीएम योगी आदित्यनाथ से नाराज चल रहे हैं। मगर राज्य में ब्राह्मण वोटरों की अच्छी खासी तादाद को देखते हुए पार्टी चुनाव से ठीक पहले उनकी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगी। एके शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष जैसा संगठन में बड़ा पद देना हो या कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद को बीजेपी में लाना हो, इन सबको बीजेपी के ब्राह्मण कार्ड के तौर पर देखा जा रहा है।कौन हैं अरविंद कुमार शर्मा?अरविंद कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मूल निवासी हैं और गुजरात कैडर के आईएएस रहे हैं। नौकरी के दौरान करीब बीस साल उनकी गिनती नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र अफसरों में होती रही। वह गुजरात से लेकर दिल्ली तक उनके साथ रहे। इसी साल जनवरी में उन्हें वीआरएस देकर यूपी के विधानपरिषद में भेज दिया गया, तभी से उनकी भूमिका को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।