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स्थानांतरण के पौने दो वर्ष बाद कार्यमुक्त करना औचित्यहीन – हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में पौने दो वर्ष पूर्व हुए तबादले के आधार पर वर्ष 2021 में पारित किए गए कार्यमुक्त आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसी के साथ तबादला आदेश 12 जुलाई 2019 के क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी है। कहा गया कि तबादला आदेश के इतने लंबे समय के बाद उसके आधार पर रिलीव (कार्यमुक्त) करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सिविल पुलिस गोरखपुर में बतौर हेड कांसटेबिल तैनात चंदन कुमार सिंह की याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची का तबादला 12 जुलाई 2019 को गोरखपुर से जीआरपी लखनऊ में किया गया था। कहा गया था कि याची को इस आदेश के बाद भी गोरखपुर में ही रोके रखा गया था। अब लगभग पौने दो वर्ष बीत जाने के बाद याची को डीआइजी/एसएसपी गोरखपुर के एक मार्च 2021 के आदेश से कार्यमुक्त किया जाना अकारण व औचित्यहीन है। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। सरकार से इस याचिका पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह इस याचिका पर सुनवाई 22 जुलाई 2021 को करेगी। कोर्ट ने याची को गोरखपुर में ही सेवा में बने रहने का आदेश दिया है तथा कहा है कि याची को नियमित उसके वेतन का भुगतान किया जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में पौने दो वर्ष पूर्व हुए तबादले के आधार पर वर्ष 2021 में पारित किए गए कार्यमुक्त आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसी के साथ तबादला आदेश 12 जुलाई 2019 के क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी है। कहा गया कि तबादला आदेश के इतने लंबे समय के बाद उसके आधार पर रिलीव (कार्यमुक्त) करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सिविल पुलिस गोरखपुर में बतौर हेड कांसटेबिल तैनात चंदन कुमार सिंह की याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची का तबादला 12 जुलाई 2019 को गोरखपुर से जीआरपी लखनऊ में किया गया था। कहा गया था कि याची को इस आदेश के बाद भी गोरखपुर में ही रोके रखा गया था। अब लगभग पौने दो वर्ष बीत जाने के बाद याची को डीआइजी/एसएसपी गोरखपुर के एक मार्च 2021 के आदेश से कार्यमुक्त किया जाना अकारण व औचित्यहीन है। 

हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। सरकार से इस याचिका पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह इस याचिका पर सुनवाई 22 जुलाई 2021 को करेगी। कोर्ट ने याची को गोरखपुर में ही सेवा में बने रहने का आदेश दिया है तथा कहा है कि याची को नियमित उसके वेतन का भुगतान किया जाए।