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रथयात्रा मेला स्थगित: भगवान जगन्नाथ ना भक्तों के हाथों करेंगे स्नान, ना ही निकलेंगे नगर भ्रमण पर

वाराणसी में नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर इस साल भी कोरोना संक्रमण की छाया रहेगी। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ भी शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करेंगे। इस बार ना तो भक्तों के हाथों स्नान करने सामने आएंगे और ना ही भइया बलभद्र और बहन सुभद्रा संग विहार के लिए निकलेंगे। ऐसे में काशी का लक्खा मेला भी नहीं सजेगा।असि स्थित भगवान जगन्नाथ की इस वर्ष भी प्रतीकात्मक जलयात्रा होगी। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के सचिव आलोक शापुरी के अनुसार इस वर्ष जगन्नाथ की जल यात्रा असि स्थित जगन्नाथ मंदिर में 24 जून को प्रात: सवा पांच से रात्रि नौ बजे तक प्रतीकात्मक रूप से होगी। इस दौरान भक्तों का प्रवेश निषिद्ध रहेगा। उन्होंने जिलाधिकारी से 23 जून प्रात: सात बजे से 24 जून रात्रि नौ बजे तक मन्दिर के सुरक्षा का अनुरोध किया है। आलोक शापुरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रदेश सरकार के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा चौराहे पर लगने वाला मेला स्थगित किया गया है।रथयात्रा मेला से ही काशी में पर्व-उत्सवों का आरंभ माना जाता है। इसका आधार उत्सव जेठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को भक्तजन स्नान करा कर करते हैैं। लोकाचार के तहत इसके बाद प्रभु अस्वस्थ होते हैैं और पखवारे भर के लिए विश्राम (क्वारंटाइन) पर जाते हैैं। इस दौरान उन्हें काढ़े का भोग लगाया जाता है।
पुरी पुराधीश्वर की रथयात्रा के विधान ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुरू होते हैं। इसी दिन नाथों के नाथ प्रभु जगन्नाथ को भक्तगण गर्मी की तपिश से निजात दिलाने के लिए कलश यात्रा निकालते हुए स्नान कराते हैं। इसके साथ ही तीन दिनी लक्खा मेला की रस्म शुरू हो जाती है। इसके ठीक एक पखवारे बाद भगवान जगन्नाथ, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ मनफेर के लिए निकलेंगे और रथयात्रा महोत्सव आरंभ होगा।

वाराणसी में नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर इस साल भी कोरोना संक्रमण की छाया रहेगी। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ भी शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करेंगे। इस बार ना तो भक्तों के हाथों स्नान करने सामने आएंगे और ना ही भइया बलभद्र और बहन सुभद्रा संग विहार के लिए निकलेंगे। ऐसे में काशी का लक्खा मेला भी नहीं सजेगा।

असि स्थित भगवान जगन्नाथ की इस वर्ष भी प्रतीकात्मक जलयात्रा होगी। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के सचिव आलोक शापुरी के अनुसार इस वर्ष जगन्नाथ की जल यात्रा असि स्थित जगन्नाथ मंदिर में 24 जून को प्रात: सवा पांच से रात्रि नौ बजे तक प्रतीकात्मक रूप से होगी। इस दौरान भक्तों का प्रवेश निषिद्ध रहेगा। उन्होंने जिलाधिकारी से 23 जून प्रात: सात बजे से 24 जून रात्रि नौ बजे तक मन्दिर के सुरक्षा का अनुरोध किया है। आलोक शापुरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रदेश सरकार के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा चौराहे पर लगने वाला मेला स्थगित किया गया है।

रथयात्रा मेला से ही काशी में पर्व-उत्सवों का आरंभ माना जाता है। इसका आधार उत्सव जेठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को भक्तजन स्नान करा कर करते हैैं। लोकाचार के तहत इसके बाद प्रभु अस्वस्थ होते हैैं और पखवारे भर के लिए विश्राम (क्वारंटाइन) पर जाते हैैं। इस दौरान उन्हें काढ़े का भोग लगाया जाता है।

पुरी पुराधीश्वर की रथयात्रा के विधान ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुरू होते हैं। इसी दिन नाथों के नाथ प्रभु जगन्नाथ को भक्तगण गर्मी की तपिश से निजात दिलाने के लिए कलश यात्रा निकालते हुए स्नान कराते हैं। इसके साथ ही तीन दिनी लक्खा मेला की रस्म शुरू हो जाती है। इसके ठीक एक पखवारे बाद भगवान जगन्नाथ, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ मनफेर के लिए निकलेंगे और रथयात्रा महोत्सव आरंभ होगा।

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