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तीस दिन में एक भी रेमडेसिविर की बिक्री नहीं, गोदामों में 73 लाख के इंजेक्शन डंप

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों के लिए संजीवनी माने गए रेमडेसिविर इंजेक्शन की बिक्री अब ठप है। बीते तीस दिनों में एक भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की बिक्री नहीं हुई है। स्टाकिस्टों के गोदामों में करीब 73 लाख के इंजेक्शन डंप हैं। कंपनियां सौदे के मुताबिक इंजेक्शन की वापसी लेने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में थोक दवा कारोबारियों को इंजेक्शनों की एक्सपायरी से बड़ा नुकसान हो सकता है।
जिले में करीब दो पहले यानी दस मई के आसपास जब कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजीसे बढ़ी तो अपनों की जान बचाने के लिए परिवारीजन, तीमारदार डॉक्टरों का पर्चा लेकर दवा स्टाकिस्टों के यहां चक्कर काटने लगे। तब डॉक्टर का पर्चा, आधार के साथ देेने पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। कभी दबाव तो कहीं से जुगाड़ कर लोगों ने स्टाकिस्टों से इंजेक्शन खरीदे, संक्रमितों को लगवाए। ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा रही, जिन्होंने कहा कि उन्होंने मारामारी के दौर में कालाबाजार में रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदे। आरोप लगे थे कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों की जरूरत के हिसाब से कालाबाजार में 20 से 30 हजार रुपये में बेचे गए। हल्ला मचा तो कई लोग इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़े भी गए, लेकिन सफेदपोश कालाबाजारी पुलिस की पकड़ से दूर ही रहे।
औषधि विभाग के मुताबिक जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन सिर्फ जरूरतमंदों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराए गए। बिक्री का विवरण दर्ज कर शासन के साथ प्रशासन को दिया गया। अब हालात बदल गए हैं। थोक दवा विक्रेताओं के यहां विभिन्न ब्रांडों के रेमडेसिविर इंजेक्शन का भारी स्टाक जमा है। इनमें एक स्टाकिस्ट के पास तीन जिलों की डीलरशिप है। उनके यहां सर्वाधिक 45 लाख के इंजेक्शन डंप हैं। वहीं अन्य स्टाकिस्टों के पास भी 28 से 30 लाख के रेमडेसिविर इंजेक्शन गोदाम में पड़े हैं। स्टाकिस्ट इंजेक्शनों की एक्सपायरी तिथि से परेशान हैं।
बढ़ी मांग तो मंगाया भारी स्टाक, अब वापसी के प्रयास
जिले में पांच ऐसे स्टाकिस्ट हैं, जिनके पास रेमडेसिविर इंजेक्शन की डीलरशिप है। अलग-अलग दवा कंपिनयों के इन डीलरों ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब पांच सौ इंजेक्शन का आर्डर दिया तो उन्हें बामुश्किल 30 से 50 इंजेक्शन मिले। मांग और आपूर्ति का अंतर करीब डेढ़ महीने बना रहा। मई की 15 तारीख से आर्डर के मुताबिक इंजेक्शन तो मिले पर वापसी पर डीलरों ने कंपनियों के प्रतिनिधियों से बात नहीं की। संक्रमण की दर कम हुई, मरीज घटे पर रेमडेसिविर मंगाने का क्रम जारी रहा, जो वर्तमान में सिरदर्द संभावित भारी नुकसान का कारण बन रहा है। अब करीब एक महीने से इंजेक्शनों की बिक्री ठप है और कंपनियां बचे स्टाक की वापसी से कतरा रही हैं। दवा कारोबारियों के मुताबिक अभी इंजेक्शनों की एक्सपायरी में तीन से चार महीने एक्सपायरी डेट है। कंपनियों से बात चल रही है पर वापसी पर गोलमोल जवाब हैं। मेल पर लिखापढ़ी में कंपनियों के प्रतिनिधि बिक्री के बाद वापसी का निर्देश बताते हैं।
सरकारी स्टॉक में भी हैं 500 से अधिक इंजेक्शन
जिले के सरकारी अस्पतालों के साथ स्वास्थ्य विभाग के स्टोर में रेमडेसिविर इंजेक्शन का भारी स्टाक है। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एलथ्री कोविड अस्पताल एसआरएन, एलटू बेली अस्पताल और सीएमओ के भंडार गृह में 500 से अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टाक है। एसआरएन के  सह प्रभारी कोरोना डॉ. सुजीत के मुताबिक संक्रमितों की गंभीरता और डॉक्टर की सलाह पर ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाते हैं। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं है। एसआईसी डॉ. अजय सक्सेना के मुताबिक अस्पताल में रेमडेसिविर का पर्याप्त स्टाक है। शासन और प्रशासन के निर्देश पर रेमडेसिविर की बिक्री सीधे मरीज या तीमारदारों को नहीं की जा रही है। स्टाकिस्टों को कोविड अस्पतालों को ही रेमडेसिविर इंजेक्शन देने के निर्देश हैं। सामान्य मरीजों को इंजेक्शन के लिए सीएमओ कार्यालय से संपर्क करना होगा। डॉक्टर के पर्चे और आधार की छाया प्रति देने पर उन्हें इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। स्टाकिस्टों के पास स्टॉक है, इसकी जानकारी है पर वापसी के संबंध में औषधि या स्वास्थ्य विभाग का लेनादेना नहीं है। हमें उपलब्धता कराने और कालाबाजारी  न हो, इसके लिए प्रयास जारी रखने हैं।

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों के लिए संजीवनी माने गए रेमडेसिविर इंजेक्शन की बिक्री अब ठप है। बीते तीस दिनों में एक भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की बिक्री नहीं हुई है। स्टाकिस्टों के गोदामों में करीब 73 लाख के इंजेक्शन डंप हैं। कंपनियां सौदे के मुताबिक इंजेक्शन की वापसी लेने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में थोक दवा कारोबारियों को इंजेक्शनों की एक्सपायरी से बड़ा नुकसान हो सकता है।

जिले में करीब दो पहले यानी दस मई के आसपास जब कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजीसे बढ़ी तो अपनों की जान बचाने के लिए परिवारीजन, तीमारदार डॉक्टरों का पर्चा लेकर दवा स्टाकिस्टों के यहां चक्कर काटने लगे। तब डॉक्टर का पर्चा, आधार के साथ देेने पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। कभी दबाव तो कहीं से जुगाड़ कर लोगों ने स्टाकिस्टों से इंजेक्शन खरीदे, संक्रमितों को लगवाए। ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा रही, जिन्होंने कहा कि उन्होंने मारामारी के दौर में कालाबाजार में रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदे। आरोप लगे थे कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों की जरूरत के हिसाब से कालाबाजार में 20 से 30 हजार रुपये में बेचे गए। हल्ला मचा तो कई लोग इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़े भी गए, लेकिन सफेदपोश कालाबाजारी पुलिस की पकड़ से दूर ही रहे।

जिले में पांच ऐसे स्टाकिस्ट हैं, जिनके पास रेमडेसिविर इंजेक्शन की डीलरशिप है। अलग-अलग दवा कंपिनयों के इन डीलरों ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब पांच सौ इंजेक्शन का आर्डर दिया तो उन्हें बामुश्किल 30 से 50 इंजेक्शन मिले। मांग और आपूर्ति का अंतर करीब डेढ़ महीने बना रहा। मई की 15 तारीख से आर्डर के मुताबिक इंजेक्शन तो मिले पर वापसी पर डीलरों ने कंपनियों के प्रतिनिधियों से बात नहीं की। संक्रमण की दर कम हुई, मरीज घटे पर रेमडेसिविर मंगाने का क्रम जारी रहा, जो वर्तमान में सिरदर्द संभावित भारी नुकसान का कारण बन रहा है। अब करीब एक महीने से इंजेक्शनों की बिक्री ठप है और कंपनियां बचे स्टाक की वापसी से कतरा रही हैं। दवा कारोबारियों के मुताबिक अभी इंजेक्शनों की एक्सपायरी में तीन से चार महीने एक्सपायरी डेट है। कंपनियों से बात चल रही है पर वापसी पर गोलमोल जवाब हैं। मेल पर लिखापढ़ी में कंपनियों के प्रतिनिधि बिक्री के बाद वापसी का निर्देश बताते हैं।

जिले के सरकारी अस्पतालों के साथ स्वास्थ्य विभाग के स्टोर में रेमडेसिविर इंजेक्शन का भारी स्टाक है। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एलथ्री कोविड अस्पताल एसआरएन, एलटू बेली अस्पताल और सीएमओ के भंडार गृह में 500 से अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टाक है। एसआरएन के  सह प्रभारी कोरोना डॉ. सुजीत के मुताबिक संक्रमितों की गंभीरता और डॉक्टर की सलाह पर ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाते हैं। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं है। एसआईसी डॉ. अजय सक्सेना के मुताबिक अस्पताल में रेमडेसिविर का पर्याप्त स्टाक है। शासन और प्रशासन के निर्देश पर रेमडेसिविर की बिक्री सीधे मरीज या तीमारदारों को नहीं की जा रही है। स्टाकिस्टों को कोविड अस्पतालों को ही रेमडेसिविर इंजेक्शन देने के निर्देश हैं। सामान्य मरीजों को इंजेक्शन के लिए सीएमओ कार्यालय से संपर्क करना होगा। डॉक्टर के पर्चे और आधार की छाया प्रति देने पर उन्हें इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। स्टाकिस्टों के पास स्टॉक है, इसकी जानकारी है पर वापसी के संबंध में औषधि या स्वास्थ्य विभाग का लेनादेना नहीं है। हमें उपलब्धता कराने और कालाबाजारी  न हो, इसके लिए प्रयास जारी रखने हैं।