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ओवर लोडेड वाहनों को बिना अनलोड किए संचालन की अनुमति देना गलत – हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओवर लोडेड वाहनों का टोल प्लाजा की मशीनों की माप के आधार पर ई चालान जारी करने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। याचिका में राजमार्गो पर स्थित टोल प्लाजा मे लगे वाहनों का भार माप मशीनो के डाटा के आधार पर ई-चालान किया जाता है। कोर्ट ने कहा है कि कहा है कि प्लाजा पर लगी मशीनें सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित की जाती हैं इसलिए मान्य हैं। कोर्ट ने टोल प्लाजा पर ओवर लोड वाहनो को 150 रुपये लेकर संचालन की अनूमति देने को सुप्रीम कोर्ट के प्रेमजीत भसीन केस के फैसले के विपरीत माना है और क्षेत्रीय परिवहन कमिश्नर उ प्र लखनऊ को यह आदेश सरकार के समक्ष रखने का निर्देश दिया है, ताकि निर्देशों पर अमल हो सके।कोर्ट ने कहा है कि ओवर लोडेड वाहन के ड्राइवर या वाहन इंचार्ज के रिस्क पर अधिक भार खाली किए जाने के बाद ही चलाने की अनुमति दी जाए ।अधिक भार उतारे जाने तक वाहन को प्लाजा से जाने न दिया जाए ।सरकार एक माह में इसका पालन करे।

क्यो कि ओवर लोडेड वाहन दुर्घटना का कारण बनते है।इसके संचालन को रोका जाए।कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव परिवहन को अनुपालनार्थ भेजे जाने का निर्देश दिया है।यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने सर्च आपरेटर एसोसिएशन मार्फत अध्यक्ष राजेश रूपानी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि टोल प्लाजा पर ओवर लोडेड वाहन पकड़े जाने पर कानूनन ड्राइवर को एक घंटे के भीतर वजन मशीन एक्यूरेसी को चुनौती देने का अधिकार है।यह चुनौती ई-चालान मिलने के 15दिन के भीतर भी दी जा सकती है।बाद में नहीं दी जा सकती।कोर्ट ने कहा कि जनवरी 20 में ओवरलोड  पाए गए वाहनों का ई -चालान जून 20 में किया गया।इस खामी को दूर किया जाए।साथ ही टोल प्लाजा से ओवरलोड वाहन से शुल्क लेकर जाने दिया जा रहा है।जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है।ओवरलोडेड वाहन के संचालन की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक भार मानक के अनुसार कम न किया जाए।इसके पालन की जिम्मेदारी परिवहन अधिकारियों की है।याचिका मे परिवहन आयुक्त के 22 मई 20 के आदेश को चुनौती दी गई थी।इसका कहना था कि कमिश्नर को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इससे पहले 30अक्तूबर 15को आदेश जारी किया गया था। इस आदेश को चुनौती नही दी गई है।जिसके तहत  राजमार्ग के टोल प्लाजा पर वजन नापने की मशीन को सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया गया है और प्लाजा के वजन डाटा के आधार पर चालान करने व पेनाल्टी लगाने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्यवाही की जा रही है।बिना वजन कम किए वाहन को चलाने की अनुमति न देने के नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।ओवर लोडेड वाहन का संचालन रोक कर दुर्घटना पर नियंत्रण किया जा सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओवर लोडेड वाहनों का टोल प्लाजा की मशीनों की माप के आधार पर ई चालान जारी करने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। याचिका में राजमार्गो पर स्थित टोल प्लाजा मे लगे वाहनों का भार माप मशीनो के डाटा के आधार पर ई-चालान किया जाता है। कोर्ट ने कहा है कि कहा है कि प्लाजा पर लगी मशीनें सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित की जाती हैं इसलिए मान्य हैं। कोर्ट ने टोल प्लाजा पर ओवर लोड वाहनो को 150 रुपये लेकर संचालन की अनूमति देने को सुप्रीम कोर्ट के प्रेमजीत भसीन केस के फैसले के विपरीत माना है और क्षेत्रीय परिवहन कमिश्नर उ प्र लखनऊ को यह आदेश सरकार के समक्ष रखने का निर्देश दिया है, ताकि निर्देशों पर अमल हो सके।

कोर्ट ने कहा है कि ओवर लोडेड वाहन के ड्राइवर या वाहन इंचार्ज के रिस्क पर अधिक भार खाली किए जाने के बाद ही चलाने की अनुमति दी जाए ।अधिक भार उतारे जाने तक वाहन को प्लाजा से जाने न दिया जाए ।सरकार एक माह में इसका पालन करे। क्यो कि ओवर लोडेड वाहन दुर्घटना का कारण बनते है।इसके संचालन को रोका जाए।कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव परिवहन को अनुपालनार्थ भेजे जाने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने सर्च आपरेटर एसोसिएशन मार्फत अध्यक्ष राजेश रूपानी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि टोल प्लाजा पर ओवर लोडेड वाहन पकड़े जाने पर कानूनन ड्राइवर को एक घंटे के भीतर वजन मशीन एक्यूरेसी को चुनौती देने का अधिकार है।यह चुनौती ई-चालान मिलने के 15दिन के भीतर भी दी जा सकती है।बाद में नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने कहा कि जनवरी 20 में ओवरलोड  पाए गए वाहनों का ई -चालान जून 20 में किया गया।इस खामी को दूर किया जाए।साथ ही टोल प्लाजा से ओवरलोड वाहन से शुल्क लेकर जाने दिया जा रहा है।जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है।ओवरलोडेड वाहन के संचालन की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक भार मानक के अनुसार कम न किया जाए।इसके पालन की जिम्मेदारी परिवहन अधिकारियों की है।
याचिका मे परिवहन आयुक्त के 22 मई 20 के आदेश को चुनौती दी गई थी।इसका कहना था कि कमिश्नर को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इससे पहले 30अक्तूबर 15को आदेश जारी किया गया था। इस आदेश को चुनौती नही दी गई है।जिसके तहत  राजमार्ग के टोल प्लाजा पर वजन नापने की मशीन को सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया गया है और प्लाजा के वजन डाटा के आधार पर चालान करने व पेनाल्टी लगाने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्यवाही की जा रही है।बिना वजन कम किए वाहन को चलाने की अनुमति न देने के नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।ओवर लोडेड वाहन का संचालन रोक कर दुर्घटना पर नियंत्रण किया जा सकता है।