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सुभारती की संस्थापक संघमाता डॉ. मुक्ति भटनागर को नम आंखों से दी श्रद्धांजलि

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प्रयागराज की बेटी डॉ. मुक्ति भटनागर ने पिता के चिकित्सकीय पेशे को अपनाकर मानवता की सेवा ही नहीं की बल्कि मां के गुणों को आत्मसात कर शिक्षा के क्षेत्र में सुभारती ग्रुप का प्रबंधन भी संभाला। वह समाज के साथ परिवार, हजारों विद्यार्थियों के साथ एमबीबीएस पास कर नए-नए डॉक्टर बने युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहीं। रविवार को उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने को चिकित्सक ही नहीं विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

 एमएलएन मेडिकल कॉलेज से वर्ष 1974 बैच की डॉ मुक्ति भटनागर बौद्ध धर्म को अंगीकृत करने बाद संघ माता बनीं। उन्हें मेडिकल कॉलेज के एल्युमिनाई एसोसिएशन के लॉन में भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि दी। संघ माता के पति सुभारती ग्रुप के मुखिया डॉ. अतुल कृष्ण रूंधे गले से डॉ. मुक्ति को याद करते हुए बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताया। कहा कि जब वह कुछ करते और कहीं अटकते तो वह कहती थीं कि मैं पतंग के पीछे की डोर हूं, जहां जाएंगे वहां चली जाउंगी। यह सूत्र वाक्य सुभारती ग्रुप के 20 कॉलेजों की प्रगति का कारण बना। संस्मरणों को संजोते हुए उन्होंने कहा कि उनके आदर्श सदैव प्रेरित करते रहेंगे।
डॉ. मुक्ति की बेटियों ने मां को उनकी प्रतिभाओं के माध्यम से याद किया। सुभारती की मुख्य कार्यकारी डॉ. शल्या राज ने उनके जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से उकेरा। वहीं अवनि ने भी अनोखे तरीके से मां के बहुआयामी वक्तित्व को एलईडी स्क्रीन पर दिखाया और उनको पथप्रदर्शक बताया। इस मौके पर सभी की आंखें भर आईं।

पुत्र डॉ. कृष्णामूर्ति ने श्रद्धांजलि अर्पित कर आभार जताया। एल्युमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आलोक मिश्रा ने कहा कि जनसेवा के क्षेत्र में डॉ. मुक्ति के कार्य अविस्मरणीय हैं। संघ माता के गुरू डॉ. वीबी सहाय ने कहा कि सुभारती से जुड़े तो देखा कि शिष्या डॉ. मुक्ति में पिता डॉ.जगत नरायण और माता कमल के सभी गुण विद्यमान हैं। उन्होंने कई विलक्षण क्षणों का वर्णन किया। इस मौके पर प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि मातृभूमि और कर्मभूमि पर किसी का स्मरण करना और लोगों को जुटना उस वक्ति की काबिलियत का प्रमाण है कि वह प्रतिभावान थीं। जिले के नोडल अधिकारी कोरोना रहे डॉ. ऋषि सहाय ने इस मौके पर डॉ. मुक्ति के साथ कोरोना काल में जान गंवाने वाले 38 डॉक्टरों को श्रद्धांजलि दी। बताया कि उन्होंने जिले के कई गरीबों, जरूरतमंदों की उनसे मदद कराई। श्रद्धांजलि सभा में डॉ. मुकुल पांडेय, डॉ. शरद वर्मा, डॉ. ऋषि सहाय, डॉ. शरद जैन, डॉ. अरुण श्रीवास्तव, पूर्व प्राचार्य डॉ. ममता सिंह, डॉ. डीके निगम, डॉ. शांति चौधरी, आनंद घिल्डियाल, डॉ. मनोज भार्गव, एडवोकेट यशार्थ प्रकाश, डॉ. धीरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ. शुभि सहाय, सहायक कुल सचिव विवेक कुमार के साथ चिकित्सक, सुभारती परिवार के सदस्य मौजूद रहे।
डॉ. मुक्ति की स्मृति में व्याख्यान माला
डॉ. मुक्ति भटनागर की स्मृति में एमएलएन मेडिकल कॉलेज और एल्युमिनाई एसोसिएशन एक व्याख्यान माला शुरू की जाएगी। उनके पति डॉ. अतुल कृष्ण ने इस आशय का प्रस्ताव दिया जिसे प्राचार्य डॉ.एसपी सिंह ने स्वीकार किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आलोक मिश्रा ने बताया कि औपचारिकताएं पूरी कर डॉ. मुक्ति व्याख्यानमाला की शुरूआत की जाएगी। यह गर्व का विषय है कि उनके परिवारीजन और सुभारती परिवार ने इसका प्रस्ताव दिया।

प्रयागराज की बेटी डॉ. मुक्ति भटनागर ने पिता के चिकित्सकीय पेशे को अपनाकर मानवता की सेवा ही नहीं की बल्कि मां के गुणों को आत्मसात कर शिक्षा के क्षेत्र में सुभारती ग्रुप का प्रबंधन भी संभाला। वह समाज के साथ परिवार, हजारों विद्यार्थियों के साथ एमबीबीएस पास कर नए-नए डॉक्टर बने युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहीं। रविवार को उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने को चिकित्सक ही नहीं विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।  

एमएलएन मेडिकल कॉलेज से वर्ष 1974 बैच की डॉ मुक्ति भटनागर बौद्ध धर्म को अंगीकृत करने बाद संघ माता बनीं। उन्हें मेडिकल कॉलेज के एल्युमिनाई एसोसिएशन के लॉन में भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि दी। संघ माता के पति सुभारती ग्रुप के मुखिया डॉ. अतुल कृष्ण रूंधे गले से डॉ. मुक्ति को याद करते हुए बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताया। कहा कि जब वह कुछ करते और कहीं अटकते तो वह कहती थीं कि मैं पतंग के पीछे की डोर हूं, जहां जाएंगे वहां चली जाउंगी। यह सूत्र वाक्य सुभारती ग्रुप के 20 कॉलेजों की प्रगति का कारण बना। संस्मरणों को संजोते हुए उन्होंने कहा कि उनके आदर्श सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

 सुभारती की मुख्य कार्यकारी डॉ. शल्या राज ने उनके जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से उकेरा। वहीं अवनि ने भी अनोखे तरीके से मां के बहुआयामी वक्तित्व को एलईडी स्क्रीन पर दिखाया और उनको पथप्रदर्शक बताया। इस मौके पर सभी की आंखें भर आईं। पुत्र डॉ. कृष्णामूर्ति ने श्रद्धांजलि अर्पित कर आभार जताया। एल्युमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आलोक मिश्रा ने कहा कि जनसेवा के क्षेत्र में डॉ. मुक्ति के कार्य अविस्मरणीय हैं। संघ माता के गुरू डॉ. वीबी सहाय ने कहा कि सुभारती से जुड़े तो देखा कि शिष्या डॉ. मुक्ति में पिता डॉ.जगत नरायण और माता कमल के सभी गुण विद्यमान हैं। उन्होंने कई विलक्षण क्षणों का वर्णन किया। इस मौके पर प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि मातृभूमि और कर्मभूमि पर किसी का स्मरण करना और लोगों को जुटना उस वक्ति की काबिलियत का प्रमाण है कि वह प्रतिभावान थीं। जिले के नोडल अधिकारी कोरोना रहे डॉ. ऋषि सहाय ने इस मौके पर डॉ. मुक्ति के साथ कोरोना काल में जान गंवाने वाले 38 डॉक्टरों को श्रद्धांजलि दी। बताया कि उन्होंने जिले के कई गरीबों, जरूरतमंदों की उनसे मदद कराई। श्रद्धांजलि सभा में डॉ. मुकुल पांडेय, डॉ. शरद वर्मा, डॉ. ऋषि सहाय, डॉ. शरद जैन, डॉ. अरुण श्रीवास्तव, पूर्व प्राचार्य डॉ. ममता सिंह, डॉ. डीके निगम, डॉ. शांति चौधरी, आनंद घिल्डियाल, डॉ. मनोज भार्गव, एडवोकेट यशार्थ प्रकाश, डॉ. धीरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ. शुभि सहाय, सहायक कुल सचिव विवेक कुमार के साथ चिकित्सक, सुभारती परिवार के सदस्य मौजूद रहे।
डॉ. मुक्ति की स्मृति में व्याख्यान माला
डॉ. मुक्ति भटनागर की स्मृति में एमएलएन मेडिकल कॉलेज और एल्युमिनाई एसोसिएशन एक व्याख्यान माला शुरू की जाएगी। उनके पति डॉ. अतुल कृष्ण ने इस आशय का प्रस्ताव दिया जिसे प्राचार्य डॉ.एसपी सिंह ने स्वीकार किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आलोक मिश्रा ने बताया कि औपचारिकताएं पूरी कर डॉ. मुक्ति व्याख्यानमाला की शुरूआत की जाएगी। यह गर्व का विषय है कि उनके परिवारीजन और सुभारती परिवार ने इसका प्रस्ताव दिया।