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कोरोना बीमारी के नाम तक से अनजान हैं वन गुर्जर, वैक्सीनेशन के लिए भी नहीं पहुंचा कोई

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हाइलाइट्स:पर्वत श्रेणी को शिवालिक कहते हैं, इन्ही जंगलों में वन गुर्जर नाम की जाति रहती हैशादी-ब्याह, खान-पान सब कुछ अलग हैकड़ी मेहनत कर जीवन गुजारने वाले इन वन गुर्जरों का स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा होता हैसैयद मशकूर, सहारनपुरकोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है और न जाने कितने लोग इसकी चपेट में आकर काल का ग्रास बन गए हैं। देश और दुनिया में शायद ही कोई बचा हो, जो कोरोना और लॉकडाउन के बारे में न जानता हो, लेकिन सहारनपुर में एक तबका ऐसा है, जो कोरोना का नाम तक नहीं जानता है। जी हां, जनजातियों में शुमार माने जाने वाले वन गुर्जर कोरोना के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। जंगल में रहने वाले इन लोगों के परिवार में न तो कोई इस बीमारी की चपेट में आया और न ही किसी की मौत कोरोना से हुई है। करोना काल और लॉकडाउन के दौरान कोई स्वास्थ्य कर्मी इन्हें जागरुक करने या टीकाकरण के लिए भी नहीं पहुंचा है। वन गुर्जर जहां पर रहते हैं, वहां इंटरनेट और मोबाइल फोन का नेटवर्क भी नहीं मिलता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई और अगस्त के दौरान टीम ऐसे क्षेत्रों में जाकर खुद ही रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोरोना टीकाकरण करेंगी।अलग ही दुनिया है वन गुर्जरों कीसहारनपुर, हरिद्वार, देहरादून और हिमाचल प्रदेश में 110 किमी लंबी पर्वत श्रेणी को शिवालिक कहते हैं। इन्ही जंगलों में वन गुर्जर नाम की जाति रहती है। वन गुर्जरों की संख्या लाखों में है। वन गुर्जरों की अलग संस्कृति है। शादी-ब्याह, खान-पान सब कुछ अलग है। ये लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों और पुराने तौर-तरीकों पर ही निर्भर हैं। इनके यहां मुद्रा का चलन भी यहां बहुत कम है। दूध के बदले अनाज या जरूरत की दूसरी चीजें लेते हैं। कड़ी मेहनत कर जीवन गुजारने वाले इन वन गुर्जरों का स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा होता है। प्राकृतिक वातावरण में रहने तथा तथा खान-पान देसी होने के चलते बीमारियां भी इन से कोसों दूर हैं। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान जहां पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ था। ऑक्सिजन से लेकर दवाइयों के लिए लोग दर-दर भटक रहे थे। सरकार ने करोना महामारी रोकने के लिए दो-दो बार लॉकडाउन लगाया। इसके बावजूद वन गुर्जरों पर इस बीमारी का कोई असर नजर नहीं आया है। अधिकांश वन गुर्जर कोरोना बीमारी से अनजान हैं। महामारी के दौरान न तो यहां पर कोई बीमार हुआ और न ही किसी की कोरोना से मौत हुई।कोरोना से नहीं हुआ कोई बीमारबादशाही बाग खोल में रहने वाले वन गुर्जर यामीन, नूर अहमद और महिला सफुरा से जब कोरोना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जानकारी होने से इनकार कर दिया। हालांकि, लॉकडाउन के बारे में उनका कहना था कि बाजार बंद है और मास्क लगाकर ही बाजारों में जाना है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान कोई स्वास्थ्य कर्मी उन्हें जागरुक करने या वैक्सीन लगाने के लिए अभी तक नहीं आया है। साथ ही उन्होंने बताया कि न ही हमारे यहां पर कोई कोरोना का मरीज है और न ही किसी की इस बीमारी से मौत हुई है।Kamdhenu Yojna: सहारनपुर में बुरी तरह फेल हुई ‘श्वेत क्रांति’, एक को छोड़ कामधेनु योजना की सभी डेयरी बंदटीमें खुद ही रजिस्ट्रेशन कर करेंगी वैक्सीनेशन: सीएचसी प्रभारीबेहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नितिन कंदवाल ने बताया कि वन विभाग के सहयोग से वन गुर्जरों को जागरुक किया गया था और वैक्सीन भी जल्द ही लगवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में 25 टीमें बनाकर वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। जंगलों में रहने वाले वन गुर्जरों के पास टीम भेजकर रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा और वैक्सीन लगवाई जाएगी।