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उच्च शिक्षा निदेशालय ने रोकी काउंसलिंग, फंसी नियुक्ति

उच्च शिक्षा निदेशालय ने राजकीय महाविद्यालयों में प्रवक्ता के पदों चयनित अभ्यर्थियों की ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया बीच में ही रोक दी। ऐसे में पांच साल पुराने विज्ञापन के तहत चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति फंस गई है। सोमवार को अभ्यर्थी उच्च शिक्षा निदेशक से मिलने उनके कार्यालय पहुंच गए और वहीं, धरना दे दिया। निदेशक ने उन्हें बताया कि राजकीय महाविद्यालयों में ऑनलाइन माध्यम से स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया पूरी होते ही चयनित अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित कर दिए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से राजकीय महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों में चयनित अभ्यर्थियों की ऑनलाइन नौ जून से शुरू कराई गई थी। इस दौरान 14 विषयों में चयनित 211 अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित कर दिए गए, लेकिन अचानक बीच में ही काउंसलिंग की प्रक्रिया रोक दी गई। आठ विषयों अंग्रेजी, अर्थ शास्त्र, हिंदी, रसायन विज्ञान, बीएड, भौतकी, वाणिज्य, एवं गृहविज्ञान में चयनित 350 अभ्यर्थियों कॉलेज आवंटित नहीं किए गए। इस मसले पर अभ्यर्थियों ने सोमवार को उच्च शिक्षा निदेशालय में धरना दिया और निदेशक से वार्ता भी की। हालांकि बातचीत से अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि काउंसलिंग प्रक्रिया के बीच में ऑनलाइन माध्यम से प्रवक्ता के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू किए जाने से निदेशालय की कार्यप्रणाली संदेहास्पद हो जाती है।उनका आरोप है कि केवल 211 अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित कर उन्हें लाभ पहुंचाया गया और बाकी 350 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग बीच में रोककर उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया। अभ्यर्थियों का कहना है कि स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब उन्हें बचे हुए कॉलेजों ही आवंटित किए जाएंगे, जबकि पूर्व में 211 अभ्यर्थियों को उनके मनचाहे कॉलेज आवंटित कर दिए गए। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि शासन का आदेश है कि महाविद्यालयों में ट्रांसफर की प्रक्रिया हर हाल में 15 जुलाई तक पूरी की जानी है। इसी वजह से काउंसलिंग बीच में रोकनी पड़ी। ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होते ही चयनित अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित कर दिए जाएंगे।

उच्च शिक्षा निदेशालय ने राजकीय महाविद्यालयों में प्रवक्ता के पदों चयनित अभ्यर्थियों की ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया बीच में ही रोक दी। ऐसे में पांच साल पुराने विज्ञापन के तहत चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति फंस गई है। सोमवार को अभ्यर्थी उच्च शिक्षा निदेशक से मिलने उनके कार्यालय पहुंच गए और वहीं, धरना दे दिया। निदेशक ने उन्हें बताया कि राजकीय महाविद्यालयों में ऑनलाइन माध्यम से स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया पूरी होते ही चयनित अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित कर दिए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से राजकीय महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों में चयनित अभ्यर्थियों की ऑनलाइन नौ जून से शुरू कराई गई थी। इस दौरान 14 विषयों में चयनित 211 अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित कर दिए गए, लेकिन अचानक बीच में ही काउंसलिंग की प्रक्रिया रोक दी गई। आठ विषयों अंग्रेजी, अर्थ शास्त्र, हिंदी, रसायन विज्ञान, बीएड, भौतकी, वाणिज्य, एवं गृहविज्ञान में चयनित 350 अभ्यर्थियों कॉलेज आवंटित नहीं किए गए। इस मसले पर अभ्यर्थियों ने सोमवार को उच्च शिक्षा निदेशालय में धरना दिया और निदेशक से वार्ता भी की। हालांकि बातचीत से अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि काउंसलिंग प्रक्रिया के बीच में ऑनलाइन माध्यम से प्रवक्ता के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू किए जाने से निदेशालय की कार्यप्रणाली संदेहास्पद हो जाती है।

उनका आरोप है कि केवल 211 अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित कर उन्हें लाभ पहुंचाया गया और बाकी 350 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग बीच में रोककर उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया। अभ्यर्थियों का कहना है कि स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब उन्हें बचे हुए कॉलेजों ही आवंटित किए जाएंगे, जबकि पूर्व में 211 अभ्यर्थियों को उनके मनचाहे कॉलेज आवंटित कर दिए गए। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि शासन का आदेश है कि महाविद्यालयों में ट्रांसफर की प्रक्रिया हर हाल में 15 जुलाई तक पूरी की जानी है। इसी वजह से काउंसलिंग बीच में रोकनी पड़ी। ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होते ही चयनित अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के माध्यम से कॉलेज आवंटित कर दिए जाएंगे।