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इलाहाबाद हाईकोर्ट में ऑड इवेन फार्मूले पर मुकदमों की सुनवाई शुरू

इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की लिस्टिंग का ऑड-इवेन फार्मूला सोमवार से प्रारंभ हो गया। पहले दिन किसी कोर्ट में केवल ऑड तो किसी में केवल इवेन नंबर वाले मुकदमों की सुनवाई हुई। जिस कोर्ट में ऑड नंबर वाले मुकदमे लगे, वहां पूरे सप्ताह ऑड नंबर के केस ही लिस्ट होंगे और जहां इवेन लगे, उन कोर्ट में इवेन नंबर वाले मुकदमों की ही सुनवाई होगी। वकीलों को यह नई व्यवस्था रास नहीं आई। कई पूर्व पदाधिकारी इस व्यवस्था का विरोध जताने हाईकोर्ट बार पहुंच गए। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से मिलकर बार की बात रखने का आश्वासन देकर उन्हें शांत कराया।उधर, ऑड-इवेन फार्मूले पर मुकदमों की सुनवाई शुरू हुई तो दूसरी तरफ परिसर के बाहर इस व्यवस्था के विरोध और खुली अदालत में सुनवाई शुरू करने की मांग में वकील जुटने लगे।

हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष आरके ओझा, पूर्व महासचिव अशोक सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव संतोष मिश्र व शशि प्रकाश सिंह, गिरिजेश तिवारी, राजीव द्विवेदी, अंजनी मिश्र, विश्वनाथ मिश्र, विश्वनाथ पांडेय, दीपचंद्र सिंह, प्रमोद सिंह आदि एसोसिएशन पहुंचे तो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आश्वस्त किया कि बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से वार्ता होगी और यदि वकीलों की मांग नहीं मानी जाएगी तो आगे की रणनीति तय होगी। इससे पहले वरिष्ठ उपाध्यक्ष जमील अहमद आजमी ने वकीलों की समस्या कार्यकारिणी में रखने का आश्वासन दिया।जूनियर लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी ने कहा कि ऑड-इवेन से समस्या हल होने वाली नहीं है। टाइम स्लाट सही समय पर नहीं भेजा जाता है। किसी केस में 10 बजे का टाइम स्लाट भेजा जाता है और उसका नंबर अपराह्न साढ़े तीन बजे तक आता है।

आज उनका एक केस लगा था लेकिन दिनभर इंतजार के बाद भी लिंक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश बैठें और थोड़े-थोडे फ्रेश मुकदमे कई कोर्ट में लगने पर सभी की सुनवाई हो जाएगी। हजारों फ्रेश केस महीनों से पडे़ हैं। कुछ पता नहीं चल पा रहा है कि उनकी सुनवाई कब होगी।पूर्व उपाध्यक्ष एके ओझा ने कहा कि वकालतनामा दाखिल होने पर रिकॉर्ड पर नहीं रखा जाता।कोर्ट उठ जाती है, डिस्प्ले बोर्ड पर सूचना नहीं दी जाती और लिंक के इंतजार में वकील बेवजह बैठे रहते हैं। मुकदमा दाखिल हुआ तो समय तय नहीं कि कब कोर्ट में पेश होगा। वकीलों का कहना है कि ऑड-इवेन की व्यवस्था से हाईकोर्ट के कर्मचारियों का काम भी बढ़ेगा। उच्च न्यायालय कर्मचारी अधिकारी संघ के महासचिव बृजेश शुक्ल का कहना है इस संबंध में हम भी परीक्षण कर रहे हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के आने पर उनके समक्ष कर्मचारियों की समस्या रखेंगे। बार के अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह का कहना है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी के लखनऊ से लौटने पर बुधवार को बार का पक्ष उनके समक्ष रखेंगे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की लिस्टिंग का ऑड-इवेन फार्मूला सोमवार से प्रारंभ हो गया। पहले दिन किसी कोर्ट में केवल ऑड तो किसी में केवल इवेन नंबर वाले मुकदमों की सुनवाई हुई। जिस कोर्ट में ऑड नंबर वाले मुकदमे लगे, वहां पूरे सप्ताह ऑड नंबर के केस ही लिस्ट होंगे और जहां इवेन लगे, उन कोर्ट में इवेन नंबर वाले मुकदमों की ही सुनवाई होगी। वकीलों को यह नई व्यवस्था रास नहीं आई। कई पूर्व पदाधिकारी इस व्यवस्था का विरोध जताने हाईकोर्ट बार पहुंच गए। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से मिलकर बार की बात रखने का आश्वासन देकर उन्हें शांत कराया।

उधर, ऑड-इवेन फार्मूले पर मुकदमों की सुनवाई शुरू हुई तो दूसरी तरफ परिसर के बाहर इस व्यवस्था के विरोध और खुली अदालत में सुनवाई शुरू करने की मांग में वकील जुटने लगे। हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष आरके ओझा, पूर्व महासचिव अशोक सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव संतोष मिश्र व शशि प्रकाश सिंह, गिरिजेश तिवारी, राजीव द्विवेदी, अंजनी मिश्र, विश्वनाथ मिश्र, विश्वनाथ पांडेय, दीपचंद्र सिंह, प्रमोद सिंह आदि एसोसिएशन पहुंचे तो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आश्वस्त किया कि बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से वार्ता होगी और यदि वकीलों की मांग नहीं मानी जाएगी तो आगे की रणनीति तय होगी। इससे पहले वरिष्ठ उपाध्यक्ष जमील अहमद आजमी ने वकीलों की समस्या कार्यकारिणी में रखने का आश्वासन दिया।

जूनियर लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी ने कहा कि ऑड-इवेन से समस्या हल होने वाली नहीं है। टाइम स्लाट सही समय पर नहीं भेजा जाता है। किसी केस में 10 बजे का टाइम स्लाट भेजा जाता है और उसका नंबर अपराह्न साढ़े तीन बजे तक आता है। आज उनका एक केस लगा था लेकिन दिनभर इंतजार के बाद भी लिंक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश बैठें और थोड़े-थोडे फ्रेश मुकदमे कई कोर्ट में लगने पर सभी की सुनवाई हो जाएगी। हजारों फ्रेश केस महीनों से पडे़ हैं। कुछ पता नहीं चल पा रहा है कि उनकी सुनवाई कब होगी।पूर्व उपाध्यक्ष एके ओझा ने कहा कि वकालतनामा दाखिल होने पर रिकॉर्ड पर नहीं रखा जाता।
कोर्ट उठ जाती है, डिस्प्ले बोर्ड पर सूचना नहीं दी जाती और लिंक के इंतजार में वकील बेवजह बैठे रहते हैं। मुकदमा दाखिल हुआ तो समय तय नहीं कि कब कोर्ट में पेश होगा। वकीलों का कहना है कि ऑड-इवेन की व्यवस्था से हाईकोर्ट के कर्मचारियों का काम भी बढ़ेगा। उच्च न्यायालय कर्मचारी अधिकारी संघ के महासचिव बृजेश शुक्ल का कहना है इस संबंध में हम भी परीक्षण कर रहे हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के आने पर उनके समक्ष कर्मचारियों की समस्या रखेंगे। बार के अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह का कहना है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी के लखनऊ से लौटने पर बुधवार को बार का पक्ष उनके समक्ष रखेंगे।