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लाल किला हिंसा मामले में खालिस्तानी कनेक्शन भी आया सामने

इसी साल 26 जनवरी को किसानों के आंदोलन से जुड़े हो रहे ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किले पर हुई हिंसा मामले में अब दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने अपनी चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। बता दें कि इस मामले में क्राइम ब्रांच ने कई हज़ार मोबाइल और सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के बाद दीप सिद्धू समेत गिरफ्तार कुल 17 आरोपियों के खिलाफ जल्द ही में दिल्ली की कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की है।

इस चार्जशीट में कहा गया है कि, 26 जनवरी को लाल किले पर निशान साहब फहराने की साजि को कई महीनों पहले से रचा गया था। यहां तक कि 25-26 जनवरी की रात को गिरफ्तार एक आरोपी लाल किले की रेकी करने तक गया था। यह रेकी करने वाला शख्स इकबाल सिंह था। जिसको लेकर खुलासा हुआ है कि यह शख्स 25-26 जनवरी की रात 2 बजकर 50 मिनट पर लाल किले के पास रेकी करने आया था। रेकी के दौरान उसकी तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में कैद भी हुई थी।

पहले भी पहुंचा था लाल किला, बता दें कि सामने आई जानकारी के मुताबिक इकबाल सिंह इससे पहले भी 19 दिसंबर को भी लाल किले पर पहुंचा था। उस वक्त उसके हाथ में निशान साहेब था। लेकिन उस दौरान पुलिस द्वारा उसे रोक लिया गया था। वहीं इकबाल को लेकर जानकारी मिली है कि उसका कनेक्शन खालिस्तानियों से भी है। इकबाल ने 2009 में कनाडा का दौरा किया था। इस दौरान उसने डिक्सी गुरुद्वारा (खालिस्तान समर्थकों का गढ़ माना जाता है) टोरंटो के साथ काम किया।

इसलिए फहराया निशान साहिब, इकबाल सिंह के बारे में जानकारी है कि, वह खालिस्तान आंदोलन का कट्टर समर्थक भी हैं। लाल किले के मामले में कनाडा के खालिस्तानी निवासियों के साथ उसके संबंधों की जांच के लिए इस संबंध में जांच चल रही है। पुलिस हिरासत के दौरान इकबाल सिंह ने खुलासा किया है कि अगर वह निशान साहिब को लाल किले की प्राचीर से फहराने में सफल रहे, तो उन्हें प्रतिबंधित संगठन, सिख फॉर जस्टिस समूह द्वारा घोषित नकद इनाम मिलेगा।

लाल किले को किसानों का धरना स्थल बनाना था मकसद, यही नहीं खुलासे से पता चला है कि उसने लाल किला पहुंचने के लिए टाटा इंडिका गाड़ी के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट का इस्तेमाल किया। पूछताछ के दौरान इकबाल सिंह ने कहा कि उसका लाल किले की यात्रा का मुख्य उद्देश्य और अवैध रूप से एकत्रित दंगाई भीड़ को उकसाकर लाल किले पर कब्जा करना और फिर लाल किले को विरोध करने वाले किसानों के लिए एक नया विरोध स्थल बनाना था।

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