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स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस जिंक कॉर्नर रहेगी व्यवस्था

जिले में 1 जुलाई से 15 जुलाई तक गहन डायरिया नियंत्रण पखवाडा के रूप मनाया जायेगा। इस संबंध में जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ खेमराज सोनवानी ने बताया कि,शून्य से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों में मृत्यु का एक मुख्य कारण डायरिया भी है। जिसके शीघ्र उपचार से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती हैI बच्चों में डायरिया से होने वाली मृत्यु की रोकथाम के लिए ही यह गहन डायरिया नियंत्रण पखवाडा प्रदेश के साथ-साथ जिले में आरम्भ किया जा रहा है। इस पखवाड़े में विभिन माध्यमों से क्षेत्र में डायरिया नियंत्रण के प्रयास में और तेज़ी लाई जाएगी। गांवों में मितानिनों द्वारा 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों के घरों में ओ आर एस पैकेट वितरण के साथ-साथ घोल बनाने की विधि भी बताई जाएगी। इसके अतिरिक्त जल शुद्धि के लिए क्लोरिन टेबलेट का भी वितरण किया जायेगा।

विभिन्न संचार माध्यमों जैसे दीवार पर नारे लेखन ,व्हात्सप्प , फेसबुक के ज़रिये भी लोगों में इस बाबत जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है। गाँवो में आयोजित काउंसिलिंग सत्रों के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा ओआरएस जिंक की महत्ता, स्तनपान की उपयोगिता की चर्चा के साथ हाथ धोने की सही विधि का भी प्रदर्शन होगा। सीएमएचओ डॉ सोनवानी ने आगे बताया कि, सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में ओ आर एस जिंक का पर्याप्त भण्डारण सुनिश्चित किया गया है एवं इन केन्द्रों के ओ पी डी एवं आई पी डी वार्ड में ओ आर एस –जिंक कार्नर स्थापित किये गए हैं जिससे लोगों को आसानी से यह उपलब्ध हो पाए। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से समन्वय कर निजी चिकित्सा संस्थानों को भी सम्मिलित किया जायेगा। डेवलपमेंट पार्टनर्स अंतर्गत डायरिया नियंत्रण में अन्य संस्थाओं महिला बाल विकास पंचायत स्थानीय स्वशासन,आजीविका मिशन ,आई एम ए,आई ए पी से समन्वय स्थापित कर सहयोग प्राप्त किया जायेगा। इसके साथ ही किसी क्षेत्र में महामारी की रोकथाम के लिए जिले में एक महामारी नियंत्रण कक्ष के साथ-साथ 39 रैपिड रेस्पोंस टीम भी गठित की गई है जो जिला,ब्लॉक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर कार्य करेगी। गौरतलब है कि पेट में दर्द ,उल्टी, दस्त, बुखार, निर्जलीकरण, सूजन डायरिया के कुछ प्रमुख लक्षण है। बरसात के मौसम में इसका अधिक खतरा बना रहता है।