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इमरान खान के नये पाकिस्तान का सच…
पेट भर खाना भी नहीं नसीब

Imran Khan ने स्वीकारा बदहाल Pakistan का कड़वा सच, ‘पेटभर खाना जुटाना मुल्क के लिए सबसे बड़ी चुनौती’
Pak के 40% Kids कुपोषित
 पाक की सरकार अपने आवाम को बुनियादी सेवाएं भी नहीं दे पाती। वहीं इस हालात से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आखिरकार कबूल किया है कि पाक की 40 प्रतिशत जनसंख्या को भरपेट खाना नहीं मिल पाता है।
इसके अलावा इमरान का मानना है कि कुपोषण की वजह से 40 प्रतिशत बच्चों का सही मानसिक और शारिरिक विकास नहीं हो रहा है। यह बात इमरान खान ने गुरुवार को इस्लामाबाद में किसानों से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान कही। इमरान खान ने कहा कि, पाकिस्तान को खाने की जरूरत को पूरा करने के लिए अधिक मात्रा में गेहूं का आयात विदेशों से करना पड़ रहा है जिसके चलते पाक का विदेशी मुद्रा भंडार भी कम होता जा रहा है।


इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में बच्चों को पौष्टिक आहार मिलने में दिक्कत हो रही है। इसके अलावा यहां के 40 प्रतिशत बच्चों का सही तरीके से न तो मानसिक विकास हो रहा है और न ही शारीरिक।
किसानों से पाक पीएम ने कहा कि, अगर आपके देश (पाकिस्तान) की 15-40 प्रतिशत जनसंख्या भूखी है तो लोग देश को चलने नहीं देंगे। इमरान खान ने इजरायल और चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह इन देशों ने अपनी यहां गरीबी को दूर कर मजबूत बनाया वैसे ही वे भी पाकिस्तान की गरीबी तो दूर करने का प्रयास करेंगे।
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FATF की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान को 3,800 करोड़ डॉलर का नुकसान
इस्लामाबाद स्थित स्वतंत्र थिंक-टैंक, तबादलाबी द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के 2008 से देश को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के फैसले के कारण पाकिस्तान को 38 अरब डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद का भारी नुकसान हुआ है। वैश्विक राजनीति की लागत को वहन करना, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर एफएटीएफ की ग्रे-लिस्टिंग का प्रभाव शीर्षक वाला पेपर नाफी सरदार द्वारा लिखा गया है। पाकिस्तान को ग्रे सूची या बढ़ी हुई निगरानी के तहत देशों की सूची में रखा गया था, क्योंकि पेरिस स्थित संयुक्त राष्ट्र निगरानी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के शीर्ष नेतृत्व पर मुकदमा चलाने में कमी का फैसला किया था। इस सूची में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल कायदा और तालिबान शामिल हैं।


कागज के अनुसार, परिणाम बताते हैं कि एफएटीएफ ग्रे-लिस्टिंग, 2008 से शुरू होकर 2019 तक, लगभग 3,800 करोड़ डॉलर का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, अनुमान बताते हैं कि इस प्रतिक्रिया का एक बड़ा हिस्सा (58 प्रतिशत) खपत व्यय (घरेलू और सरकार दोनों) में कमी से प्रेरित था। सकल घरेलू उत्पाद में कुल 450 करोड़ डॉलर और 360 करोड़ डॉलर के संचयी नुकसान के साथ निर्यात और आवक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी आंशिक रूप से जिम्मेदार हैं। ये परिणाम एफएटीएफ ग्रे-लिस्टिंग से जुड़े महत्वपूर्ण नकारात्मक परिणामों की ओर इशारा करते हैं।
यह तर्क दिया गया है कि इस प्रकार नीति निमार्ताओं को भविष्य के आर्थिक नुकसान से बचने के लिए एएमएल / सीएफटी कानून को अपनाने पर एफएटीएफ का पालन करने की आवश्यकता पर जोर देना होगा। द डॉन ने एक रिपोर्ट में कहा, एफएटीएफ की नई कार्रवाई के साथ, पाकिस्तान, 27 में से 26 लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर पूरा करने के बाद भी, कम से कम एक और वर्ष के लिए ग्रे सूची में रहेगा और अपने एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग/मुकाबला में कमियों को दूर करने के लिए सात नए समानांतर कार्रवाई बिंदुओं पर काम करेगा।

चीन के सामने पाकिस्तान ने टेके घुटने, उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर बोला China जो कह रहा वही सही
   इमरान खान ने उइगर मसलमानों को लेकर ड्रैगन को क्लीनचिट दी है।
इमरान खान ने कहा कि चीन जो कहता है सच वही है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ व्यवहार को लेकर की दलीलें पाकिस्तान को मंजूर है।


चीन में गुरुवार को कम्युनिस्ट पार्टी के शासन को 100 साल पूरे हो गए। चीनी पत्रकारों से बातचीत करते हुए इमरान खान ने कहा उइगर मुसलमानों को लेकर चीन की प्रतिक्रिया वेस्टर्न मीडिया की ओर से दी जाने वाली रिपोर्ट से बहुत अलग है। डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान ने कहा, ”चीन के साथ हमारे बेहद मजबूत और करीबी रिश्ते की वजह से हम चीन की बात को स्वीकार करते हैं।”
इमरान खान ने कहा, ”यह पाखंड है। दुनिया के दूसरे हिस्सों जैसे कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन हो रहे हैं। लेकिन पश्चमी मीडिया मुश्किल से ही इस पर कुछ बोलती है।”

इमरान खान ने कहा, ”अब तक हमें बताया जाता रहा है कि समाज के ऊपर उठने के लिए सबसे अच्छा रास्ता पश्चिमी लोकतंत्र है, लेकिन सीपीसी ने एक वैकल्पिक मॉडल दिया है और उन्होंने सभी पश्चिमी लोकतंत्रों को हरा दिया है।”

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