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विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नौकरी देने पर विचार का निर्देश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद बुलंदशहर को मृतक आश्रित कोटे में विवाहिता पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने कहा है कि विमला श्रीवास्तव सहित कई केसों में कोर्ट ने कानून की व्याख्या करते हुए स्पष्ट कहा है कि विवाहिता पुत्री भी विवाहित पुत्र की तरह परिवार में शामिल है। इसलिए उसे नौकरी देने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी के याची को नियुक्ति देने से इंकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने सीमा रानी की याचिका पर दिया है।याची का कहना था कि याची की मां नगर पालिका परिषद में सफाई कर्मचारी थी। सेवाकाल में मृत्यु हो गई। याची को शादीशुदा होने के नाते परिवार का न मानते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद बुलंदशहर को मृतक आश्रित कोटे में विवाहिता पुत्री की अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि विमला श्रीवास्तव सहित कई केसों में कोर्ट ने कानून की व्याख्या करते हुए स्पष्ट कहा है कि विवाहिता पुत्री भी विवाहित पुत्र की तरह परिवार में शामिल है। इसलिए उसे नौकरी देने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी के याची को नियुक्ति देने से इंकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने सीमा रानी की याचिका पर दिया है।

याची का कहना था कि याची की मां नगर पालिका परिषद में सफाई कर्मचारी थी। सेवाकाल में मृत्यु हो गई। याची को शादीशुदा होने के नाते परिवार का न मानते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था।