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वरुण-रीता जैसे ‘बड़े चेहरे’ खाली हाथ, यूपी के लिए क्या संदेश, समझिए

लखनऊमोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में यूपी से बड़े नाम वालों के लिए ‘दर्शन छोटे’ की ही स्थिति रह गई है। वरुण गांधी से लेकर रीता बहुगुणा जोशी जैसे चेहरे चर्चाओं और कयासों तक ही सिमट गए। दिल्ली में आस लगाए यूपी में बीजेपी के सहयोगी दलों को भी झटका लगा है। तल्ख बयान और चेतावनी जारी करने वाली निषाद पार्टी खाली हाथ रह गई। वहीं, अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को भी कैबिनेट की बर्थ की जगह राज्यमंत्री से ही संतोष करना पड़ा है। वहीं निषाद पार्टी को भी कोई तवज्जो नहीं मिली है। आइए समझते हैं चुनाव के मुहाने पर खड़े यूपी के लिए इस विस्तार में क्या संदेश छिपा है…तवज्जो नहीं मिलने पर भड़के संजय निषादमंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं मिलने पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल को मंत्रि परिषद में जगह दी जा सकती है तो प्रवीण निषाद को क्यों नहीं।

साथ ही संजय निषाद ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, ‘निषाद समाज के लोग पहले से ही बीजेपी से दूर हो रहे हैं। ऐसे में बीजेपी ने अगर गलती में सुधार नहीं किया तो विधानसभा चुनाव में नतीजा भुगतना पड़ेगा। दगाबाज सरकारों का दर्द दिल में है। दिल मुश्किल में है।’ वरुण गांधी को इसलिए नहीं मिली जगहमोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहीं मेनका गांधी को 2019 में मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी। ऐसे में विस्तार में उनके बेटे और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी के समायोजन की चर्चा तेज थी। सूत्रों का कहना है कि मेनका-वरुण कांग्रेस के गांधी परिवार के खिलाफ सियासत के प्रतीकात्मक चेहरे के तौर पर बीजेपी में थे। लेकिन नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली बीजेपी कांग्रेस को कमजोर करने और जवाब देने के लिए ऐसे प्रतीकों से आगे बढ़ चुकी है। ऐसे में इन नेताओं को भागीदारी देने से ना तो यूपी का चुनावी समीकरण सधना था और ना ही खांटी कार्यकर्ताओं में ही कोई संदेश जाना था।

बीजेपी का संदेश- अपनों का विस्तार प्राथमिकताप्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बड़े नाम होने के साथ ही ब्राह्मण चेहरे के तौर पर शामिल किए जाने के कयास थे। हालांकि, उस बेल्ट से महेंद्र नाथ पांडेय पहले से ही केंद्रीय मंत्री हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि 2014 में हुए राजनीतिक ‘पुनर्जन्म ‘ के बाद बीजेपी में बाहरियों की भागीदारी भी जमकर बढ़ी है। दूसरे दलों से आए बड़े नामों के बीच कार्यकर्ताओं के ‘घुटन’ की चिंता को भी संगठन ने नजदीक से महसूस किया है। यही वजह है कि जब इनाम देने का मौका आया तो साफ संदेश दिया गया कि अपनों का विस्तार हमारी पहली प्राथमिकता है। जिस तराई बेल्ट से जितिन प्रसाद को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर शामिल किया गया, उसी क्षेत्र से अजय कुमार मिश्र को केंद्रीय मंत्री बनाना इसी रणनीति का हिस्सा है।नए चेहरों के विकास की भी रणनीतिसूत्रों का कहना है कि राजनीतिक विकास के साथ ही बीजेपी की नजर अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावी चेहरों को भी तैयार करने पर है। ताकि बाहरियों की भरमार के बजाय अपनों के ही विकास से सियासत सध सके। विस्तार में संगठन के खांटी चेहरों को जगह देना इसका साफ संकेत है। मसलन कुर्मियों में बड़ी पैठ रखने वाली अनुप्रिया को मंत्री बनाने के साथ ही पूर्वांचल से उसी बिरादरी से पंकज चौधरी को मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ाया गया है। पंकज पार्टी के तीन दशक से अधिक पुराने कार्यकर्ता हैं।

स्वास्थ्य कारणों से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की घटती सक्रियता के बीच उनकी ही ‘खड़ाऊं’ लेकर चलने वाले लोध बिरादरी के बीएल वर्मा को लगातार मिल रहा प्रमोशन भी कल की ही तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे सेंट्रल यूपी में सामाजिक समीकरण दुरुस्त रह सके। बीजेपी में प्रदेश स्तर पर प्रभावी दलित चेहरे को लेकर मंथन चलता ही रहा है। दलितों के मुद्दे पर मुखर रहे कौशल किशोर का लगातार प्रमोशन इस गैप को भरने की कवायद बताई जा रही है। कौशल किशोर की अपने वर्ग में पैठ भी अच्छी है और दो दशक से अधिक समय से वह जमीन पर काम भी कर रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ, बीजेपी के यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने नवनियुक्त मंत्रियों ने बधाई दी।मंत्रियों की प्रोफाइलअनुप्रिया पटेलसहयोगी अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया मिर्जापुर से दूसरी बार सांसद हैं। 2012 में वह रोहनिया से विधायक भी चुनी गई थीं। मोदी सरकार के पहले टर्म में भी उन्हें विस्तार में राज्यमंत्री बनाया गया था।पंकज चौधरीमहराजगंज से छठी बार सांसद पंकज चौधरी ने पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया है। 1990-91 में वे गोरखपुर में डिप्टी मेयर रहे। 57 साल के सांसद 1991 से 2019 के बीच केवल एक बार 2009 में चुनाव हारे थे।

संगठन के पुराने और समर्पित चेहरों में उनकी गिनती होती है।डॉ. सत्यपाल सिंह बघेलसपा, बसपा से होते हुए बीजेपी में आए डॉ. सत्यपाल सिंह बघेल आगरा से सांसद हैं। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे बघेल तीन बार सपा से सांसद रहे। इसके बाद बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 2017 में टुंडला सुरक्षित सीट से विधायक बनने के बाद योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे। 2019 में बीजेपी ने उन्हें आगरा से लोकसभा चुनाव लड़ाया था। भानु प्रताप सिंह वर्माजालौन से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा संगठन के पुरान चेहरों में हैं। विधायक रहने के अलावा वह पांचवीं बार सांसद बने हैं। लॉ ग्रेजुएट और यूपी बीजेपी के एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लोकसभा की विभिन्न कमेटियों में भी सदस्य रहे हैं।कौशल किशोरमोहनलालगंज से दूसरी बार बीजेपी सांसद कौशल किशोर 2014 लोकसभा चुनाव के पहले भगवा दल में आए थे। विधानसभा सदस्य रह चुके कौशल किशोर इस समय बीजेपी के एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पत्नी जयदेवी मलिहाबाद से विधायक हैं।अजय कुमार मिश्रा टेनीलखीमपुर खीरी से दूसरी बार सांसद अजय कुमार मिश्रा टेनी 2012 में निघासन से विधायक भी रह चुके हैं। बीजेपी युवा मोर्चा के जिला मंत्री और खीरी में बीजेपी के जिला महामंत्री रहे हैं। हाल में ही उन्हें सांसद रत्न का अवॉर्ड भी मिला था।बीएल वर्मापूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबियों में शुमार बीएल वर्मा बदायूं के रहने वाले हैं और राज्यसभा से सांसद हैं। संघ से बीजेपी में आए वर्मा बीजेपी के ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष, प्रदेश मंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं। योगी सरकार में भी उन्हें राज्यमंत्री स्तर का पद दिया गया था।