असगर, सुलतानपुरउत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में ब्लॉक प्रमुख चुनाव में बीजेपी को धनपतगंज ब्लॉक में करारी शिकस्त हाथ लगी है। यहां बाहुबली यशभद्र सिंह मोनू सत्ता के दबाव के बावजूद निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, बस प्रशासनिक औपचारिकताएं ही शेष हैं। अहम बात ये है कि बीजेपी समर्थित उम्मीदवार अमित मिश्रा को यहां प्रस्तावक ही नहीं मिला। ऐसे में उन्होंने पर्चा नहीं खरीदा। इस तरह मोनू सिंह ने जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी से बहन अर्चना सिंह की हार का बदला भी चुकता किया है।
खानदानी परंपरा को बचायागुरुवार को धनपतगंज ब्लॉक परिसर के गेट पर मोनू समर्थकों की भारी भीड़ पहुंची, जिसे पुलिस ने रोक दिया। यशभद्र सिंह उर्फ मोनू निर्दलीय प्रत्याशी थे, उनके सामनें बुधवार को बीजेपी ने अमित मिश्रा को प्रत्याशी के तौर पर उतारा था लेकिन अमित मिश्रा ने पर्चा नहीं खरीद कर बीजेपी के अरमानों और दिग्गज भाजपाईयों के हौसलों पर पानी फेर दिया। इसके बाद समय बीतते ही गुरुवार को यशभद्र सिंह मोनू निर्विरोध निर्वाचित हो गए और उन्होंने अपने खानदानी परंपरा का निर्वाहन भी कर डाला। मोनू को 81 में से 80 मत मिले हैं। देश की आजादी के बाद से ही धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर यशभद्र सिंह मोनू के परिवार का ही कब्जा रहा।
चाहे इनके बाबा रहे हों, इनके पिता से लेकर चाचा और भाई तक धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी को सुशोभित कर चुके हैं। शासन के दबाव के बावजूद फेल हुआ बीजेपी का मास्टर रोलअभी तक चल रहे धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर दबदबे को खत्म करने के लिए जिले के दिग्गज भाजपाई शासन सत्ता का सहयोग लेकर इस वर्चस्व को खत्म करने का पूरा मास्टर रोल तैयार कर चुके थे, जिसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली। जैसे कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर मोनू सिंह की बहन अर्चना सिंह की हार के बाद विरोधियों के मंसूबे बलशाली हो गए। ऊषा सिंह जहां 25 मत पाकर जीती थीं वहीं अर्चना सिंह 17 मत पाकर हार गई थीं लेकिन धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर निर्विरोध निर्वाचित तय होने के कारण मोनू सिंह का दबदबा कायम हो गया।
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