केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर करीब नौ माह से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को हरियाणा के किसान नेता गुरनाम चढूनी ने परेशानी में डाल दिया है। उन्होंने हाल ही में बयान दिया था कि सभी किसान संगठन एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ें। चढ़ूनी के इस बयान से किसान नेताओं ने पल्ला झाड़ लिया है। उनका कहना है कि किसान संगठन शुरू से यह कहता आया कि हम राजनीति नहीं करेंगे।किसान नेता हन्नान मौला ने कहा कि किसान संगठन कैसे चुनाव लड़ सकते है। हम कोई भी चुनाव नहीं लड़ने जा रहे। हम लोग पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तर्ज पर मिशन यूपी और पंजाब चलाने जा रहे हैं। इस अभियान में हम आम लोगों और किसानों को केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों की खामियां बताएंगे।
चढ़ूनी के बयान पर मौला ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में पांच सौ से ज्यादा संगठन हैं। सबकी अपनी राय होती है। इसी तरह चढ़ूनी की अपनी निजी राय है। इससे पूरे किसान संगठन का कोई लेना देना नहीं है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल ने सफाई देते हुए कहा कि चढूनी का बयान निजी है और उससे संयुक्त मोर्चा व पंजाब के 32 संगठनों में किसी का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि पंजाब के किसी भी संगठन के नेता का अभी चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।इधर, चुनाव लड़ने के मसले पर भाजपा ने भी किसान संगठनों को आड़े हाथों लिया है। भाजपा का कहना है कि यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। इन नेताओं को किसानों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है।
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