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दुखद : व्यंग्य विधा के अनूठे शिल्पी उर्मिल कुमार थपलियाल नहीं रहे,

जाने माने नाट्य निर्देशक, व्यंग्यकार और लखनऊ रंगकर्म के स्तंभ उर्मिल कुमार थपलियाल (78 वर्ष )का मंगलवार को निधन हो गया। वे आंतों के कैंसर से पीड़ित थे और बीते कुछ दिनों से लखनऊ के नोवा अस्पताल में भर्ती थे। हालांकि बीते 17 जुलाई को वह अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आ गए थे। इंदिरानगर स्थित आवास पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से लखनऊ ही नहीं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली और मुंबई का रंगमंच भी शोक में डूब गया।

उर्मिल थपलियाल अपने पीछे 70 वर्षीय पत्नी बीना थपलियाल, ऋतेश थपलियाल, पुत्री ऋतुन मिश्रा व दामाद सत्येंद्र मिश्र को छोड गए हैं। दामाद सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि उनके निधन केबाद से लगातार उनके फोन की घंटी बज रही है। हर कॉल को वही उठा रहे हैं।  बुधवार सुबह 9 बजे भैंसाकुंड में उर्मिल थपलियाल का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

लखनवी रंगमंच का स्तंभकार चला गया
कानपुर में प्रोफेसर सत्यमूर्ति द्वारा स्थापित नाट्य संस्था दर्पण की लखनऊ में स्थापना 1972 में हुई। उसके संस्थापक सदस्यों में उर्मिल कुमार थपलियाल भी शामिल थे। शुरुआती दिनों में बतौर अभिनेता मंच पर दिखने वाले उर्मिल कुमार थपलियाल का रुझान धीरे-धीरे नाट्य निर्देशन में हुआ। उनके साथी रंगकर्मी डॉ. अनिल रस्तोगी बताते हैं, हजारों नाटकों का निर्देशन कर चुके उर्मिल कुमार के निर्देशन में मैंने अपने कॅरियर के सबसे ज्यादा नाटक किए हैं। नौटंकी से लेकर व्यंग्य तक में महारत हासिल थी उन्हें। उनके बिना दर्पण ही नहीं लखनऊ का रंगमंच सूना हो गया।