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पिता की दुआएं साथ लिए शिवपाल टोक्यो रवाना, स्वर्ण पदक के लिए गांव में हवन-पूजन 

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जेवलिन थ्रोवर शिवपाल सिंह शुक्रवार को पिता रामश्रय सिंह का आशीर्वाद लेकर दिल्ली हवाई अड्डे से टोक्यो ओलंपिक के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ, पिता और बुजुर्गों के आशीर्वाद से वे स्वर्ण पदक लेकर लौटेंगे। उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद स्थित शिवपाल सिंह के गांव हिंगुतरगढ़ में बृहस्पतिवार से हवन-पूजन का सिलसिला जारी है।

वायुसैनिक शिवपाल सिंह (25) ने 10 मार्च 2020 में दक्षिण अफ्रीका में क्वालीफाइंग मुकाबले में तय 85 मीटर की अपेक्षा 85.47 मीटर भाला फेंक कर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल किया था। पिछले वर्ष कोरोना की वजह से ओलंपिक स्थगित रहा। इस वर्ष ओलंपिक की घोषणा होने के बाद से ही शिवपाल ने जीतोड़ मेहनत शुरू कर दी।

शुक्रवार को सुबह नौ बजे शिवपाल पुणे से दिल्ली आए और वहां से शाम छह बजे टोक्यो के लिए रवाना हुए। पिता रामश्रय सिंह और भाई नंदकिशोर से शिवपाल की बात हुई। पिता ने उनसे कहा कि चंदौली को स्वर्ण पदक की आस है। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. ललित भनोट ने भी शिवपाल के पदक जीतने की उम्मीद जताई है।

पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही शिवपाल सिंह पर विश्वास जता चुके हैं। उन्होंने 27 जून को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में शिवपाल सिंह को सराहा था। कहा था कि शिवपाल का पूरा परिवार ही इसी खेल से जुड़ा है। उनके पिता, चाचा और भाई सभी भाला फेंकने में दक्ष हैं। परिवार की यही परंपरा उनके लिए टोक्यो ओलंपिक में जीत दिलाएगी।

शिवपाल के पिता रामाश्रय सिंह भी भाला फेंकते थे। वे पीएसी में हेड कांस्टेबल हैं। चाचा जगमोहन सिंह नेवी में जेवलिन थ्रोवर के ही कोच व छोटे भाई नंदकिशोर सिंह भी जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी हैं। चाचा ने ही शिवपाल की खेल के प्रति लगन देख कर 13 साल की उम्र में प्रशिक्षण देना शुरू किया था। खेल के बल पर ही वर्ष 2013 में एयरफोर्स में नौकरी मिली। शिवपाल सिंह ने दक्षिण एशियाई खेलों में काठमांडू में 84 मीटर व एशियन चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंकने में रजत पदक हासिल किया था।