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संतों ने कराया मुंडन, मानसी गंगा में स्नान के बाद निकाली मुड़िया शोभायात्रा

कलयुग में कृष्ण ही जगत के गुरु है। इसी मान्यता और आस्था को मन में लिए शनिवार को कान्हा की नगरी में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही आस्था भक्ति के साथ मनाया गया। सनातन गोस्वामी के अनुयायियों ने सिर मुंडन के बाद शोभायात्रा निकाली।

कोविड काल से पहले प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा मेले में लाखों भक्त गोवर्धन में आया करते थे, लेकिन कोविड काल में कान्हा की नगरी के गोवर्धन धाम में लगने वाले गुरु पूर्णिमा मेले पर पिछली साल की तरह इस बार भी संक्रमण के न फैलने को देखते हुए मेला को निरस्त करा दिया गया था।

मुड़िया शोभायात्रा निकलने की प्रसाशन ने अनुमति दे रखी है। उसी अनुमति के आधार पर मुड़िया पूर्णिमा मेला निरस्त होने के बाद गुरु-शिष्य की परंपरा निभाने के लिए शुक्रवार को जहां संतों ने मुंडन कराया। वहीं, शनिवार को मुड़िया शोभायात्रा संतों की ओर से निकाली गई। यह यात्रा संतों ने ढोल-नगाड़े और बाजे-गाजे के साथ निकाली। यह शोभायात्रा चकलेश्वर के श्रीराधा-श्याम सुंदर मंदिर से शुरू हुई और प्रमुख मार्गों से गुजरी। इस दौरान यात्रा के साथ पुलिस बल भी मौजूद था, ताकि भक्तों की भीड़ इसमें शामिल न हो सके।

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मानसी गंगा में स्नान करने के बाद निकाली शोभायात्रा
बता दें कि पूरे देश में मनाए जाने वाला गुरु पूर्णिमा पर्व गोवर्धन धाम में मुड़िया पूर्णिमा मेला के नाम से मनाया जाता है। श्याम सुंदर दास ने बताया कि यहां सनातन गोस्वामी के 1558 में गोलोकधाम पधारने पर उनके शिष्यों ने सिर मुड़ाकर मानसी गंगा की परिक्रमा लगाई थी। उसी परंपरा का गोवर्धन के चकलेश्वर स्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मंदिर के संत निर्वहन करते चले आ रहे हैं। शुक्रवार को अनुयायी भक्तों ने मंदिर में सिर मुंडन कराया है। शनिवार को मानसी गंगा में स्नान कर परंपरानुगत 463वीं बार मुड़िया शोभायात्रा हरिनाम संकीर्तन के साथ निकाली गई।

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