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UP चुनाव से पहले बीजेपी को टेंशन दे सकती है अपना दल (एस)….

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी के साथ ही उसकी सहयोगी पार्टियां भी जमीनी स्तर पर चुनावी तैयारियों में जुटी हैं। बीजेपी के बढ़ते जनाधार के साथ ही पिछले पांच साल में उसकी सहयोगी पार्टियों का भी जनाधार बढ़ा है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने यूपी के कई जिलों में अपनी पैठ बना ली है। आगामी चुनाव में अपना दल (एस) सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा सकती है। इसके साथ ही अपना दल (एस) की नजर कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट पर भी है।

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के कानपुर से परिवारिक रिश्ते हैं। इसके साथ ही अपना दल (एस) कानपुर-बुंदेलखंड में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में लगा है। अपना दल (एस) के पास कानपुर में कार्यकर्ताओं की फौज है। कार्यकर्ता लगातार मांग कर रहे हैं कि कानपुर की एक विधानसभा सीट पार्टी के खाते में आनी चाहिए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2022 के चुनाव में सीटों के बंटवारे में कानपुर की एक सीट अपना दल (एस) को दी जाए। कानपुर से भी एक विधायक अपना दल (एस) का होना चाहिए।

ये हुआ था समझौता
कानपुर में 10 विधानसभा सीटें हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अपना दल (एस) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के वक्त कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट की मांग की थी लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं हुई थी। बीजेपी ने घाटमपुर सीट से लगी फतेहपुर की जहानाबाद सीट अपना दल (एस) को दी थी। जहानाबाद विधानसभा सीट से अपना दल (एस) के जय कुमार जैकी ने जीत दर्ज की थी। जय कुमार जैकी प्रदेश सरकार में जेल मंत्री हैं।

बढ़ते जनाधार के साथ ज्यादा सीटों की मांग
अपना दल (एस) यूपी में पार्टी का विस्तार कर रही है। कानपुर-बुंदेलखंड में अपना दल (एस) की विशेष नजर है। कानपुर-बुंदेलखंड की दर्जनों ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर बड़ी संख्या में ओबीसी और कुर्मी बाहुल वोटरों का दबदबा है। अपना दल (एस) की नजर इन्ही सीटों पर हैं, जिसमें से कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट भी शामिल है। घाटमपुर विधानसभा कुर्मी बाहुल इलाका है। अपना दल (एस) इस सीट पर दावा कर सकती है। घाटमपुर सीट से बीजेपी के उपेंद्र पासवान विधायक हैं।