उत्तर प्रदेश की महिला शिक्षकों ने महिला केंद्रित समस्याओं के निवारण के लिए अपना अलग संघ बनाया है। संघ ने तीन दिन के माहवारी अवकाश की मांग करते हुए एक अभियान शुरू किया है। उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने शनिवार को बताया कि सरकारी विद्यालयों में शौचालयों की खराब स्थिति को देखते हुए महिला शिक्षकों के लिए तीन दिन का माहवारी अवकाश जरूरी है।
बाराबंकी के एक प्राथमिक विद्यालय में तैनात मौर्य ने कहा कि हमनें इस साल आठ फरवरी को महिला शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ का गठन किया। राज्य के प्राथमिक स्कूलों में तैनात कुल शिक्षकों में करीब 60 फीसद महिला शिक्षक हैं और प्रदेश के 75 जिलों में 50 जिलों में संघ की इकाई का गठन हो चुका है। मौर्य ने कहा कि महिला शिक्षकों की कुछ विशिष्ट समस्याएं हैं जिन्हें केवल महिलाएं ही प्रभावी ढंग से उठा सकती हैं और संघ उन पर काम कर रहा है।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने दिया सीएम से बातचीत का आश्वासन
यह पूछे जाने पर कि महिलाओं को शिक्षक संघ बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले से गठित संघ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व है, लेकिन यह व्यावहारिक रूप से यह सिर्फ सजावटी है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे हमारे पुरुष समकक्षों के लिए गंभीर नहीं होते हैं। मौर्य के अनुसार, संगठन के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी से मुलाकात कर अपनी मांगों का एक ज्ञापन दिया और उन्होंने भरोसा दिया कि इस संदर्भ में वह मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।
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