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किसान आंदोलन की वजह से पंजाब के परिवारों पर रोजी रोटी का संकट मंडराया इस पर विपक्ष चुप क्यों ?

04-aug-2021

आजादी के बाद से ही हाशिए पर रहे किसानों को कांग्रेस राज में कभी फसल की पूरी कीमत नहीं मिली। उन्हें मर्जी से फसल बेचने की आजादी तक नहीं थी। किसान दलालों और अढ़ातियों के जाल में फंसकर पिस रहे थे। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ना उन्हें सिर्फ देश में कहीं भी फ सल बेचने की आजादी दी बल्कि एमएसपी भी तय कर दी जिससे उन्हें तय कीमत से कम दाम ना मिले। लेकिन सरकारों ने अढ़ातियों के साथ मिलकर आंदोलन शुरू कर दिया। किसान कांग्रेसी नेताओं के बहकाबे में आकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इसका खामियाजा नेताओं को कम किसानों को ज्यादा भुगतना पड़ रहा है। विपक्ष को भी इस पर शांत नहीं रहना चाहिये किसान आंदोलन के साथ-साथ उन्हें किसान आंदोलन से जो बेरोजगारी उत्पन्न हुई है उसका भी विरोध करना चाहिये।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के कारण पंजाब में किसान भले ही कृषि कानूनों का गुस्सा अडाणी और रिलायंस के प्रतिष्ठानों पर निकाल रहे हों, लेकिन इसका नुकसान उनके परिवार को ही उठाना पड़ रहा है। किसान आंदोलन को देखते हुए अडाणी ग्रुप ने लुधियाना के किला स्थिति अपना लाजिस्टिक पार्क बंद कर दिया है। यहां करीब सात महीने से किसानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा था। किसानों ने इस साल जनवरी से ही लॉजिस्टिक पार्क के बाहर ट्रैक्टर ट्रॉली लगाकर रास्ता बंद कर दिया था। इससे कंपनी का पूरा काम ठप पड़ गया था। काम ना होने पर भी कंपनी पिछले सात महीने से सभी कामगारों को बिना काम के भी पूरा पैसा दे रही थी। लाजिस्टिक पार्क में काम करने वाले लोगों को 15 हजार से लेकर चार लाख रुपये तक का वेतन मिल रहा था।
अब किसानों के अपने रुख पर अड़े होने के कारण अडाणी ग्रुप ने अपना यह प्रतिष्ठान बंद कर दिया। इससे यहां के 400 से ज्यादा युवाओं की नौकरी चली गई है। जिन लोगों की नौकरी गई है उनमें से ज्यादातर आसपास के किसानों के बेटे हैं। कोरोना काल में नौकरी जाने से इन 400 युवाओं के परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लॉजिस्टिक पार्क के बंद होने से यहां के आसपास के किसान परिवार के लड़के निराश हैं। अब उनके पास कोई काम नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर लड़कें उन्हीं किसानों के बच्चे हैं, जो पिछले सात महीने से यहां धरने पर हैं।