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क्रशर संचालकों से जुर्माने की वसूली पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारनपुर जिले में अवैध खनन के आरोप में सभी स्टोन क्रशर प्लांटों पर एक समान पेनाल्टी लगाने की वैधता चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है और जुर्माने की जबरन वसूली पर रोक लगा दी है। याचिका की सुनवाई 13 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स शिव शक्ति स्टोन क्रशर व तीन अन्य क्रशर यूनिटों की याचिका पर दिया है।

याचियों का कहना है कि बार्था, कोर्सी व फैजाबाद गांवों में खनन होता है। टीम ने गांवों का सर्वे कर पाया कि तय मात्रा से अधिक अवैध खनन किया गया है। एरिया के सभी स्टोन क्रशर मशीनों पर बराबर पेनाल्टी लगा दी गई है। याची ने चुनौती दी कि बिना विधिक आधार के सभी पर बराबर पेनाल्टी लगायी गयी है। जितना अवैध खनन पाया गया 30 क्रशर यूनिटों पर बांट कर पेनाल्टी लगा दी गई। जवाबदेही तय नहीं की गई। पूरी कार्यवाही मनमाने तरीके से की गई है। कोर्ट ने जबरन वसूली पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।

चैरिटेबल ट्रस्ट को आयकर के दायरे में लाने का आदेश रद़्द

आयकर अपीलीय अधिकरण ने चैरिटेबल ट्रस्ट को आयकर के दायरे में मानते हुए आयकर नोटिस भेजने का आदेश रद्द कर दिया है तथा मामले पर फिर से विचार करने के लिए विभागीय अधिकारियों के पास प्रकरण भेज दिया है। प्रकरण प्रदेश में बसपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राकेशधर त्रिपाठी द्वारा गठित श्री महावीर चैरिटेबल ट्रस्ट का है।

महावीर ट्रस्ट का गठन शैक्षणिक कार्यों के लिए किया गया है। संस्था ने चंदे से रकम जुटाकर बिल्डिंग का निर्माण किया। आयकर विभाग ने चंदे से प्राप्त धनराशि को आयकर के दायरे में मानते हुए कर योग्य करार दिया था। आयकर आयुक्त (छूट) ने  इस आदेश को रद़्द कर मामला वापस आयकर अधिकारी के पास भेज दिया है। इस आदेश को अधिकरण में चुनौती दी गई थी।

ट्रस्ट का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वित्त एवं कर सलाहकार डॉ. पवन जायसवाल का कहना था कि आयकर आयुक्त (छूट) का आदेश अवैधानिक है, क्योंकि ट्रस्ट ने आयकर अधिकारी के आदेश के खिलाफ पहले ही अपील दाखिल कर रखी है। ऐसे में उनको पुनरीक्षण आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है। आयकर अधिकारी द्वारा पारित आदेश को धारा 263 में पुन: आयुक्त द्वारा खोला नहीं जा सकता है।

आयकर विभाग की ओर से आयकर आयुक्त शांतनु धमीजा ने विभाग का पक्ष रखा। मामले की सुनवाई कर रही न्यायपीठ के न्यायिक सदस्य विजय पाल और तकनीकी सदस्य रमित कोचर ने अपील स्वीकार करते हुए धारा 263 के तहत पारित आदेश रद्द कर दिया है। इससे ट्रस्ट को बड़ी राहत मिली है। ट्रस्ट की ओर से अधिवक्ता अमिताभ अग्रवाल, अजीत कुमार, विमल चंद्र त्रिपाठी और प्रेम प्रकाश राय ने पक्ष रखा।