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टैक्सी बिजनस में 3 लाख जमा करके 25 लाख महीना रिटर्न का देते थे लालच…

पुलिस के मुताबिक, जालसाजों ने कार यात्रा सर्विसेज नाम की एक कंपनी बनाई थी। इसमें निवेशकों को लालच दिया जाता था कि तीन लाख रुपये जमा करने पर निवेशक के नाम से कंपनी एक गाड़ी निकलवाएगी और इसके एवज में निवेशक को 25 हजार रुपये हर माह देगी। दोनों आरोपी सरकारी अधिकारियों के लिए कार लगवाने का ठेका मिलने की बात कहकर लोगों को झांसा देते थे और कार खरीदने के बदले 3 लाख रुपये निवेश करने का प्लान समझाते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक कार और आईफोन बरामद किया है। सेंट्रल नोएडा एडीसीपी अंकुर अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में मास्टरमाइंड सहित दो लोगों को शनिवार को सेक्टर 62 गोल चक्कर से गिरफ्तार किया गया है।

एडीसीपी ने बताया कि आरोपियों ने नोएडा के सेक्टर 63 के C-87 में कार यात्रा सर्विस के नाम से कंपनी का ऑफिस बनाया था। आरोपियों ने यूपी परिवहन निगम के नाम से फर्जी सर्टिफिकेट भी बनवाया था। लोगों को बताते थे कि यूपी परिवहन विभाग से उनका सौ गाड़ियों के लिए एग्रीमेंट हुआ है। अनुबंध के तहत उन्हें 100 कार का ठेका मिल गया है, जबकि 400 कार लगाने का ठेका कुछ दिन बाद मिल जाएगा। ग्रेनो की पीड़िता रितु चौधरी ने बताया कि सितंबर 2020 में 9 लाख रुपये अपने और 3 लाख रुपये अपने भाई से लेकर चेक के माध्यम से दीपक चौधरी को दे दिए थे। पीड़िता ने बताया कि 12 लाख रुपये दीपक चौधरी ने कंपनी के खाते में डाल कर खुद निकाल कर अपने खाते में डाल लिए।

कुछ लोग कार और टैक्सी सर्विस के नाम से कंपनी खोलकर निवेशकों से ठगी कर रहे थे। इस मामले में दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। कई अन्य की तलाश जारी है।

अंकुर अग्रवाल,एडीसीपी, सेंट्रल नोएडा

पूरा परिवार ठगी में शामिल
एडीसीपी सेंट्रल जोन अंकुर अग्रवाल ने बताया पीड़िता की तहरीर पर दीपक सिंह चौधरी, दीपक की मां पुष्पा, दीपक की पत्नी रूही, दीपक का चचेरा भाई वासु, कोमल और दीपक का ससुर एस के मलिक के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें गिरफ्तार आरोपी दीपक का ससुर संतोष कुमार मलिक लखनऊ स्थित पशुपालन विभाग में निदेशक के पद पर तैनात है। घोटाले और फर्जीवाड़े में उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।

कुछ लोगों को शुरुआत में दिया पैसा
पुलिस ने बताया कि आरोपितों ने भले ही रोड पर कोई गाड़ी न चलवाई हो, लेकिन शुरुआत में कुछ लोगों को 25 हजार रुपये दिए। इसकी वजह से अन्य निवेशक भी कंपनी से जुड़ते चले गए। आरोपितों का लक्ष्य हर साल 100 से अधिक लोगों से ठगी करने का था। आरोपितों ने पूछताछ के दौरान बताया कि कंपनी के काम के तहत उन्होंने कुछ एजेंट भी बनाये थे। तीन से चार लाख रुपये जो एजेंट निवेशक से दिलवाता था उसके बदले में आरोपित उसे एक लाख रुपये दे देते थे। महज एक साल के भीतर 40 से अधिक एजेंट इससे जुड़ गए।

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