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विद्युत परियोजना में घोटाले की विवेचना में देरी पर जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  बुंदेलखंड विद्युतीकरण योजना के तहत झांसी के  23 गांवों के विद्युतीकरण में 1600 करोड़ के घोटाले पर राज्य सरकार को 24अगस्त तक का अतिरिक्त समय दिया है और पूछा है कि विवेचना पूरी करने में देरी क्यों की जा रही है। कौन से कारण हैं जिनके चलते भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट ने एफआईआर में 1600 करोड़ के घोटाले को गंभीर माना और कहा कि यदि संसाधनों की कमी के कारण संबंधित थाने की पुलिस विवेचना नहीं कर पा रही है तो सरकार दूसरी जांच एजेंसी को विवेचना क्यों स्थानांतरित नहीं कर देती।  अधिकारियों पर  भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में देरी की सराहना नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता एस ए मुर्तजा ने जानकारी उपलब्ध कराने के लिए समय की मांग की जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 24अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की खंडपीठ ने गिरराज सिंह की जनहित याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि  भारी संख्या में गांवों के लोग विवेचना में शामिल हैं।अब  तक क्या तथ्य इकट्ठा किए गए हैं।यदि आरोपी अधिकारी जमानत पर नहीं हैं तो क्या उन्हें गिरफ्तार किया गया है। यदि गिरफ्तार नहीं किया गया है तो क्या कारण है। जिसके लिए अतिरिक्त समय मांगा गया।

याची का कहना है कि मेसर्स आई वी आर सी एल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट लि हैदराबाद व बिजली विभाग के अभियंताओं की मिलीभगत से करोड़ों रूपए का बिना काम किए भुगतान लिया गया है। राज्य सरकार के निर्देश पर एफ आई आर दर्ज कराई गई है।जिसकी जांच बिजिलेंस विभाग कर रहा है।
5 जुलाई 19 को  थाना नवाबाद , झांसी में एफआईआर दर्ज कराई गई है।