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आजादी के बाद मोदी राज मेंं ऐतिहासिक सुधारों से बढ़ी विकास की रफ्तार

15-aug-2021
देश आजादी की ७५वी सालगिराह मना रहा है। इस अवसर पर देश की प्रगति की, देश की उन्नति की और देश की विकासधारा की रफ्तार को बढ़ाने की जिम्मेदारी केन्द्र और राज्य की सरकारों के कंधो पर है। मोदी सरकार ने विकास की गति को बढ़ाने के साथ-साथ ऐतिहासिक सुधारों से देश की जनता को लाभ पहुंचाया।
आजादी के पर्व पर देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कई पीढिय़ों के ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष से हमारी आजादी का सपना साकार हुआ था।
अब बात करें मोदी सरकार की तो पिछले 7 वर्षों में किए गए सुधारों के साथ विकास के एक लंबे चक्र को आगे बढ़ाया है, जो पूरे एक दशक या उससे अधिक समय तक चलने की संभावनाएं हैं।
यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपयी सरकार द्वारा शुरू किए गए विकास चक्र के समान ही होगा, जो कि यूपीए के भ्रष्टाचार और नीतिगत पक्षाघात के बावजूद करीब एक दशक तक चला था। जब मोदी सरकार ने कार्यभार संभाला, तो उसने विकास को गति देने के लिए उन कदमों का सहारा नहीं लिया, जिनके दम पर यूपीए के शासनकाल के दौरान अनेकों भ्रष्टाचार के कारण मुद्रास्फीति आसमान छू गई। इसके उलट मोदी सरकार ने सुधारों पर जोर दिया और मुद्रास्फीति की दरों पर लगाम लगाई। ऐसे में धैर्यपूर्वक विकास के लिए एक प्राकृतिक और टिकाऊ चक्र की प्रतीक्षा थी, जो अब देखने को मिल रही है।
बैंक ऑफ अमेरिका ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत एक बहु-वर्षीय ष्टड्डश्चश्व& ष्ट4ष्द्यद्ग यानि ष्टड्डश्चद्बह्लड्डद्य श्व&श्चद्गठ्ठस्रद्बह्लह्वह्म्द्ग ष्ट4ष्द्यद्ग के शिखर पर है। इस ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि भारत का ये ष्टड्डश्चश्व& ष्ट4ष्द्यद्ग वित्तीय वर्ष 2002-03 और 2011-12 के बीच देखे गए ष्टड्डश्चश्व& ष्ट4ष्द्यद्ग के समान हो सकता है। हालाँकि, ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है। एक भयंकर महामारी के बावजूद सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और कम लागत वाले आवास पर निवेश सहित बुनियादी ढांचे पर खर्च में भारत का चक्रीय विकास सकारात्मक दिख रहा है।
यूपीए शासन और उसके पतन की शुरुआत भले ही कई अरबों के घोटालों के उजागर होने के साथ हुई हो, लेकिन इसकी वास्तविक गिरावट उच्च अस्थिर मुद्रास्फीति की दरों के चलते हुई, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था सहित समाज को त्रस्त कर दिया और मध्यम वर्ग को चोट पहुंचाई। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस और उसके पॉलिसी पेपर के मुताबिक अक्टूबर 2016 से मार्च 2020 के बीच औसत महंगाई दर 3.93 फीसदी रही, जिसे मोदी सरकार की एक सबसे बड़ी सफलता माना जाता है।
यद्यपि, पिछले दो महीनों में मुद्रास्फीति की दर भले ही 6 प्रतिशत से ऊपर चली गई हो, लेकिन जुलाई में यह जल्दी ही 5.59 प्रतिशत के साथ कंट्रोल में आ गई। ज्यादा होने के बावजूद मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत लक्ष्य के दायरे में ही है। मार्च 2016 में, मोदी सरकार ने केंद्रीय बैंक के पालन के लिए और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण शासन स्थापित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन किया। क्रक्चढ्ढ को एक मौद्रिक नीति चलानी थी जो यह सुनिश्चित करती कि मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत श्चशद्बठ्ठह्ल ड्ढड्डठ्ठस्र के साथ 4 प्रतिशत तक सीमित रहे।
मोदी सरकार और यूपीए सरकार के बीच औसत मुद्रास्फीति दर का यह अंतर स्पष्ट करता है कि एक निर्णायक सरकार आम आदमी पर वित्तीय बजट को कम करने में भूमिका निभा सकती है। यहां तक कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में यूपीए सरकार की अक्षमता को स्वीकार करते हुए कहा था, “मुझे लगता है कि यूपीए-2 रिपोर्ट कार्ड में मुद्रास्फीति एक लाल झंडे की तरह थी।” ष्टह्रङ्कढ्ढष्ठ-19 संक्रमणों में गिरावट देश में टीकाकरण की गति में तेजी के बीच आए ये नवीनतम मुद्रास्फीति के सकारात्मक आंकड़े सामने आए हैं।