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असिस्टेंट प्रोफेसर चयन मामले में हाईकोर्ट में जवाब तलब

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्यावरण विज्ञान में नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बॉटनी और जुलोजी विषयों में सहायक आचार्य के चयन में अनंतिम रूप शामिल होने का हकदार माना है। कोर्ट ने कहा कि न्यायहित में याची चयन में अनंतिम रूप से उपस्थित होने के हकदार हैं। कोर्ट ने सभी विपक्षी पक्षकारों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह और उसके बाद प्रत्युत्तर हलफनामा के लिए याचियों एक सप्ताह का समय दिया है। साथ ही कहा कि इस बीच उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग सुधारात्मक उपाय करने के लिए स्वतंत्र होगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने विक्रम गौरव सिंह व छह अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता चंदन शर्मा व अभिषेक तिवारी ने बहस की। मामले के तथ्यों के अनुसार 15 फरवरी 2021 की विज्ञापन संख्या 50 में पर्यावरण विज्ञान को शामिल नहीं किया गया है। कहा गया कि हाईकोर्ट ने मनीष कुमार सोनकर के केस में राज्य सरकार को निर्णय लेने का निर्देश भी दिया था और सरकार ने पर्यावरण साइंस को जीव विज्ञान विषय का अंत:संबद्ध विषय मानते हुए चयन में शामिल करने का आदेश दिया है।

फिर भी नए विज्ञापन में पुरानी गलती दोहराते हुए चयन में पर्यावरण साइंस को शामिल नहीं किया गया । याचियों ने पर्यावरण साइंस से नेट उत्तीर्ण किया है। उन्हें भी आवेदन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के सचिव से पूछा था कि जब राज्य सरकार ने पर्यावरण साइंस में नेट उत्तीर्ण का जीव विज्ञान विषय के सहायक प्रोफेसर पद पर चयन करने का निर्देश जारी किया है तो किन परिस्थितियों में 15 फरवरी 2021 को जारी भर्ती विज्ञापन में पर्यावरण साइंस को शामिल नहीं किया गया है।

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