इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार साल से अधिक यूपी सिविल पुलिस में स्थाई कर्मचारी के तौर पर सेवा दे रहे कान्सटेबिल का चयन को निरस्त करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने चयन निरस्तीकरण आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि यह विचारणीय मुद्दा है कि क्या सेवा में कन्फ़र्म हो चुके सिपाही की सेवा को बगैर विभागीय कार्यवाही पूरा किए समाप्त किया जा सकता है । हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार से आठ सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी ने दिलदार नगर गाजीपुर निवासी याची सिपाही बादशाह खान की याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची का चयन ओबीसी (पुरुष) में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटा के तहत हुआ था। उसका चयन 16 जुलाई 2015 को हुआ तथा 18 मई 2016 को उसे नियुक्ति मिली। दो साल का प्रोबेशन अवधि पूरी कर उसे बतौर कान्सटेबिल कन्फ़र्म कर दिया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम का तर्क था कि एक कन्फ़र्म हो चुके सिपाही की सेवा विभागीय प्रक्त्रिस्या पूरी किए वगैर समाप्त नहीं की जा सकती है। चार साल बीत जाने के बाद उसके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के सर्टिफिकेट पर संदेह नहीं किया जा सकता। बहस की गई कि यूपी पुलिस आफिसर्स आफ सबार्डिनेट रैक ( पनीस्मेन्ट एन्ड अपील ) रूल्स 1991 के नियम 14 का पालन किए बिना कन्फ़र्म हो चुके सिपाही की सेवा समाप्त करना गलत है। कोर्ट ने सरकार से इस मामले में जवाब मांगते हुए इस केस की सुनवाई 9सप्ताह बाद करने का निर्देश दिया है।
जिला न्यायालय विधिक साक्षरता शिविर संपन्न नागरिकों को किया गया जागरूक
प्रयागराज ग्रामीण क्षेत्र में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कर आम नागरिकों को कानून और उसके पालन, जिम्मेदारी के प्रति जागरूक किया गया।
नोडल अधिकारी लोक अदालत एवं अपर जिला जज निशा झा की अध्यक्षता में भारतगंज मांडा मे संपन्न हुए विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, लिंग अनुपात ,घरेलू हिंसा ,महिला उत्पीड़न ,राष्ट्रीय लोक अदालत, ई चालान , बाढ़ पीड़ितों हेतु चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं इत्यादि विषयों पर आम जनता को जागरूक किया गया ।
अपर सिविल जज जूनियर डिविजन शालिनी द्वारा बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ व महिला अधिकारों से संबंधित जानकारी आम जनता को दी गई। इसके अतिरिक्त महिलाओं के अधिकार, विधिक सेवा प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं, लोक अदालत, विभिन्न प्रकार के वादों के निस्तारण , निऱ्शुल्क अधिवक्ता की पात्रता साथ ही घरेलू हिंसा इत्यादि महिलाओं से जुड़े मामलों पर कानूनी जानकारी भी दी गई.
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