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आत्महत्या रोकना संभव है, सजगता से पीड़ित की पहचान करें

जगदलपुर 19 अगस्त। मानसिक तनाव से बचने व आत्महत्या निवारण सबंधी समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत “स्पर्श क्लीनिक” के द्वारा गायत्री नर्सिंग कॉलेज में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के माध्यम से कॉलेज के स्टॉफ व छात्र-छात्राओं को आत्महत्या के कारण और उनसे बचाव की तकनीक बताई गई। इस दौरान कुछ छात्राओं को एक ग्रुप बनाकर बेरियर एक्टिविटी और गेटकीपर की उपयोगिता के बारे में बताया गया। उन्हें बताया गया कि कैसे वह  एक सहयोगी के रूप में अपने आस पास के ऐसे लोग, मित्र या परिवारजन का सहयोग करें जो किसी डिप्रेशन से जूझ रहे है या उनमें आत्महत्या करने सबंधी लक्षण दिखाई दे रहे हैं। 

क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट मोनिका साहू ने आत्महत्या निवारण के विषय मे बताया, “तनाव की स्थिति अत्यधिक होने लगे तो प्रायः लोग आत्महत्या जैसे गलत कदम उठाने के बारे में सोचने लगते हैं। प्रायः पारिवारिक समस्या, सामाजिक निरादर, अपने प्रियजनों की आकस्मिक मृत्यु व जीवन मे कुछ असफलता के कारण ऐसे कदम उठाए जाते हैं। ऐसे में आपकी सजगता आत्महत्या के रोकथाम में सहायक हो सकती है। अगर आपके आसपास कोई ऐसा है जो मानसिक संकट में है, लोगों के बीच में रहने से घबराता है, बात-बात में मरने की इच्छा व्यक्त करता है, जिनका अचानक से काम में मन लगना बंद हो गया है तो आप ऐसे व्यक्ति से अपने खुद के सकारात्मक अनुभव साझा करें। जीवन की कुछ अच्छी बातें बताएं जीवन का मूल्य समझाये। सहानुभूति के साथ उनकी बातें सुने , उन्हें अपनी परेशानियों को मन में दबाकर रखने के बजाये अपने परिवार या दोस्तों से साझा करने के लिये प्रेरित करें। आत्महत्या रोकना अक्सर संभव है और आप खुद इसकी रोकथाम में एक सबसे अहम कड़ी हैं।”

साइकोलॉजिस्ट मोना मनहर ने मानसिक तनाव के बारे में जानकारी देते हुए बताया, “तनाव से दूरी बनाकर रखना मानसिक स्वास्थ्य के लिये बहुत आवश्यक है । तनाव अधिक या अनियंत्रित होने से मन में नकारात्मक प्रभाव आने शुरू हो जाते हैं जिससे भावनाएं, विचार और व्यवहार प्रभावित होने लगते है। नियमित गतिविधियों में होने वाले  कई बदलावों का पता लगाकर तनाव को पहचाना जा सकता है. उदास महसूस करना, व्याकुल होना, एकाग्रता में कमी , बेवजह भय आना या घबराहट, मनोदशा में अत्यधिक परिवर्तन आदि मानसिक तनाव के प्रमुख लक्षण हैं। अत: किसी भी परिस्थिति में अकेले ना रहें। यदि किसी को कुछ समस्या है तो अपने परिवार वालों या करीबी से बात करे, उन्हें अपनी समस्या बताएं और समस्या का समाधान खोजें। इसके अतिरिक्त अपने दैनिक गतिविधियों में से कुछ समय निकालकर खुद के लिये समय दें,योगाभ्यास करें, खानपान में सुधार करें और पर्याप्त नींद लें”। 

यहाँ लें सलाह 

अगर किसी के मन मे आत्महत्या करने जैसे विचार आ रहे है तो वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है, मानसिक अस्वस्थता की स्थिति हो तो घबराएं नही, महारानी अस्पताल में स्पर्श क्लीनिक के माध्यम से मानसिक रोगियों को निःशुल्क परामर्श व उपचार दिया जाता है। उक्त कार्यक्रम में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मोनिका साहू, मोना मनहर, रूपेश मशीह, उमाशंकर साहू, गायत्री नर्सिंग कॉलेज के स्टाफ व छात्रायें उपस्थित थे।