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बेटियां नहीं किसी से कम, जहान जीतने का है ….

‘बेटियां किसी से कम नहीं। उन्हें सिर्फ सपोर्ट की जरूरत है। यह परिवार, समाज और देश का सपोर्ट ही था, जिसने हमें न सिर्फ ओलंपिक तक पहुंचाया बल्कि दुनियाभर को अपने कौशल का लोहा मनवाने की भी प्रेरणा दी। इसलिए जरूरी यह है कि बेटियों को आगे बढ़ने के लिए अवसर दिए जाएं।’ शुक्रवार को भारतीय महिला हॉकी टीम की ओलंपियन सदस्य गुरजीत कौर और निशा वारसी ने जब यह बातें कह रही थीं तो उनकी आंखों की चमक से साफ प्रदर्शित हो रहा था कि बेटियां किसी मायने में कम नहीं। मौका मिले तो वह जहान जीत सकती हैं।

टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन से न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में तारीफें बटोरने वालीं दोनों ओलंपियन शुक्रवार को  कार्यालय में पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपने संघर्ष बल्कि ओलंपिक में आए उतार-चढ़ाव के पलों के अनुभव को भी साझा किया। हरियाणा की निशा ने कहा, बचपन से शौक था कि खेल के क्षेत्र में मुकाम हासिल करूं। खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि परिवार का पूरा सपोर्ट मिला।

परिवार ने हर फैसले पर किस कदर साथ दिया, इसका पता इसी से चलता है कि रोजाना प्रैक्टिस के लिए भोर में उठकर मां मुझे ग्रांउड तक छोड़ने जाती थीं। इसी सपोर्ट का नतीजा रहा कि खेलों के सबसे बड़े आयोजन में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। उधर गुरजीत ने कहा कि  खेल को करियर बनाने का कभी परिवार ने विरोध नहीं किया। बल्कि उनकी ओर से तो वह हर चीज मुहैया कराई गई जो खेल में आगे बढ़ने में सहायक थी। घर से निकलकर जब नेशनल और फिर इंटरनेशनल टीम में पहुंचे तो परिवार के साथ ही पूरे देश का सपोर्ट मिला। नतीजा आपके सामने है और वादा करते हैं कि आगे इससे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
ओलंपिक के अनुभवों पर बात करते हुए दोनों ने बताया कि शुुरुआती तीन मैचों में हार के बाद निराशा जरूर थी लेकिन हमने हार नहीं मानी थी। कोच ने पूरी टीम के साथ बैठकर हार के कारणों को ढूढ़ा। यह देखा कि कहां कमी रह गई थी। कोचिंग स्टाफ ने एक-एक प्लेयर के वीक प्वाइंट्स को न सिर्फ चिह्नित किया बल्कि उस बेहतर ट्रेेनिंग देकर उसे दूर भी किया। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास में दर्ज है। बैक टु बैक मैच जीतकर हम पदक के दावेदारों की श्रेणी में आ गए। सेमीफाइनल में अर्जेंटीना और फिर कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन से हुए मुकाबले में भले ही हम जीत नहीं पाए हों, लेकिन हमने दिखा दिया कि हम दुनिया की किसी भी टीम को चुनौती दे सकते हैं।

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