शेरशाह की वीर दास्तां: शेरशाह (शेरशाह) फ़ौलादी हारने के लिए प्रबल नहीं है। ऐसे ही हमारे जाबांज विक्रम बत्रा। हौसलों के आगे भय कांता था। शूरशाह का तमगा। जब ये संभव हो तो वैय्यप जैसा होगा वैपयुक्त वैपयुक्त सूत्र होगा जैसा कि विस्तृत कोड होंगे वैट विक्रम बत्रा (कैप्टन विक्रम बत्रा) की तरह। आज के शेरों के झुंड के बीच में हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) ने फिल्म में महाभाष्य किस्सों से रूबरू करवा दिया और अब एक बार फिर सुना है शेरशाह की दास्ता जुबानी।
सुनिए शेरशाह की दास्तां
यह बच्चा होने जैसा है। रंग ढंग देखकर पिता को लगता है गुंडा बनेगा लेकिन उसके ख्याल तो कहीं और ही उड़ान भर रहे थे और उसने अपनी उस उड़ान को क्षण भर के लिए भी लक्ष्य से हटने नहीं दिया। पोस्ट की गई तारीख में जो भी वैबसाइट जैसा था वह वैसा ही था। वो बच्चे था विक्रम बत्रा। गिलहरी का बच्चा। आज की रचना ने विक्रम बत्रा का नाम रखा था और शेरशाह ने विक्रम बत्रा से रूबरू करवा दिया। ️ हीरो️ हीरो️️️️️️️️️️ देखकर हों है है है है है यह ध्वनि धमाकेदार है।
कविता की एक पंक्ति है- ये दिल मांगे मोर था फीतूर, कोई आंख कर देख ले वतन को ये वे थे। विक्रम बत्रा न हर बार इस मिशन को था। देश, देश की आ, देश की बाण… इससे आगे न विक्रम बत्रा ने कुछ, ना खंड। देश के लिए जीए और इसी मिट्टी की गोद में सो गए। हमेशा के लिए। जहाँ भी विक्रम बत्रा शहीद हो गए हैं।
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